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संतान के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण है अहोई अष्टमी व्रत, जानिए पूजा विधि

कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी मनाई जाती है। इस साल यह 21 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। इस तिथि का संबंध मां गौरी से है। मां गौरी के अहोई स्वरुप की पूजा अहोई अष्टमी के दिन की जाती है। इस दिन सभी निसंतान महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए और जिन महिलाओं की संतान हैं, वे उनकी मंगल कामना हेतु माता अहोई का व्रत रखती हैं और पूजा अर्चना करती हैं।

पूजा विधि
इस दिन चांदी की अहोई बनाकर उसकी पूजा करने का विधान है। अहोई में चांदी के मनके भी डाले जाते हैं और हर व्रत में इनकी एक संख्या बढ़ाते जाते हैं। इस साल इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी है, जो काफी फलदायक है। इस दिन गोबर से या चित्रांकन के द्वारा कपड़े पर आठ कोष्ठक की एक पुतली भी बनाई जाती है तथा उसके बच्चों की आकृतियां बना दी जाती हैं और शाम को उसकी पूजा की जाती है। रात्रि में तारों को अर्ध्य देकर ही व्रत तोड़ा जाता है।

पूजा शुभ मुहूर्त
शाम 5 बजकर 46 मिनट से 7 बजकर 2 मिनट तक

तारों के उदय होने का समय
शाम 6 बजकर 10 मिनट
इस व्रत में किन बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है……

अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता से पहले भगवन गणेश की पूजा अर्चना करें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं। गणपति महाराज को लाल फूल और सिंदूर काफी पसंद है, उन्हें लाल फूल और सिंदूर भी चढ़ाएं। इस दिन पूजा के समय बच्चों को अपने साथ पूजा में बैठाएं और भगवान को भोग लगाकर उन्हें प्रसाद दें।

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