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सचिन को सलामी देने से महरूम रह गए डब्बावाले

valeमुंबई (एजेंसी) । महाराष्ट्र के सबसे बड़े नागरिक अलंकरण ‘महाराष्ट्र भूषण’ से अलंकृत सचिन तेंदुलकर को सलामी देने को ललायित मुम्बई के मशहूर डब्बावालों को मुम्बई क्रिकेट संघ (एमसीए) ने टिकट उपलब्ध नहीं कराया है। इस कारण डब्बावाले सचिन के अंतिम टेस्ट मैच के पहले दिन गुरुवार को सलामी देने वानखेड़े स्टेडियम नहीं पहुंच सके। डब्बावालों ने घोषणा की थी कि वे सचिन को 14 नवंबर को वानखेड़े स्टेडियम में अपनी तरह की सलामी देंगे लेकिन एमसीए के व्यवहार के कारण पहले दिन तो कम से कम उनकी यह मुराद पूरी नहीं हो सकी। यह पहला मौका है  जब 1०० के करीब डब्बावालों ने अपना काम छोड़कर स्टेडियम पहुंचने की बात कही है। नूतन मुंबई टिफिन बॉक्स सप्लायर्स (एनएमटीबीएसटी) के प्रवक्ता सुभाष तालेकर ने आईएएनएस से कहा  ‘‘हमें एमसीए से टिकट प्राप्त नहीं हुए। हमने इस सम्बंध में एमसीए प्रमुख शरद पवार को भी एक पत्र लिखा था लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद हम खुद पवार से मिले लेकिन उन्होंने हमें आश्वासन देकर चलता कर दिया।’’ तालेकर ने कहा  ‘‘5० से 1०० डब्बावाले दैनिक काम से कुछ दिनों की फुर्सत लेकर स्टेडियम पहुंचने के लिए ललायित हैं।  हमारे ये डब्बावाले क्रिकेट से संन्यास ले रहे महान सचिन को अपनी सलामी पेश करना चाहते हैं।’’ तालेकर के मुताबिक उम्मीद है कि दूसरे या तीसरे दिन एमसीए डब्बावालों को टिकट मुहैया कराएगा और वे सचिन को सलामी देने पूरी तैयारी के साथ स्टेडियम का रुख कर सकेंगे। बकौल तालेकर  ‘‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि हमें दूसरे या तीसरे दिन मैच टिकट मिलेंगे। ऐसा एमसीए के अधिकारियों ने कहा है। उम्मीद है कि एमसीए अपना वादा पूरा करेगा।’’ तालेकर ने कहा कि डब्बावाले बीते 123 साल से मुंबई की सेवा कर रहे हैं और सचिन लगभग तीन दशक से भारतीय क्रिकेट की सेवा कर रहे हैं  ऐसे में डब्बावाले सचिन को मुंबई का प्रतीक मानने लगे हैं। तालेकर ने कहा  ‘‘सचिन मुंबई की पहचान हैं। उन्होंने पूरे देश का मान बढ़ाया है। हम इस महान क्षण में सचिन को सलामी देना अपनी ड्यूटी समझते हैं लेकिन अफसोस है कि एमसीए हमें ऐसा करने से रोक रहा है। हमने तो सिर्फ 1०० टिकट की मांग की थी और वह भी पहली बार लेकिन हमारी नहीं सुनी गई।’’ तालेकार ने कहा कि तय कार्यक्रम के मुताबिक डब्बावाले सचिन के सम्मान में बैनर लिए रहेंगे और उन्हें एक टिफिन (डब्बा) भी भेंट करने का फैसला किया गया है। इस तरह का डब्बा ब्रिटेन के राजकुमार चाल्र्स को भी भेंट किया जा चुका है। मुंबई में लगभग 5००० डब्बावाले काम करते हैं। ये शहर भर में काम कर रहे लोगों तक लगभग 2० ००० टिफिन पहुंचाते हैं। खास बात यह है कि सबके टिफिन उनके दफ्तरों तक साल के 365 दिन समय से और सुरक्षित पहुंचते हैं।

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