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सपा में शक्ति परीक्षण, अखिलेश के समर्थन में 202 विधायक जमा

 आजम खान अखिलेश को लेकर गए मुलायम सिंह से मिलवाने पहुंचे
sapa-dangalनई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के ‘समाजवादी कुनबे’ में हुई अब तक की सबसे बड़ी उथल-पुथल के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) से बर्खास्त मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बीच आज शक्ति प्रदर्शन की होड़ लगी। मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर पार्टी विधायकों की बैठक बुलायी, जिसमें सपा के 229 में से ज्यादातर विधायकों के साथ-साथ खासी तादाद में विधान परिषद सदस्यों ने हिस्सा लिया। अखिलेश और उनके हिमायती चाचा रामगोपाल यादव को कल सपा मुखिया द्वारा पार्टी से बर्खास्त किये जाने के बाद शुरू हुआ ‘हाई वोल्टेज ड्रामा’ मुख्यमंत्री आवास पर जारी रहा। बड़ी संख्या में अखिलेश के समर्थक उनके आवास के बाहर एकत्र होकर उनके समर्थन और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के विरोध में नारेबाजी करते दिखे। उधर, सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने द्वारा घोषित किये गये पार्टी उम्मीदवारों की सपा राज्य मुख्यालय पर 1 बजे बैठक बुलायी है।इस बैठक को लेकर काफी गहमागहमी है।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने शुक्रवार शाम मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और महासचिव रामगोपाल यादव को कारण बताओ नोटिस जारी करने के महज 45 मिनट के अंदर संवाददाता सम्मेलन करके दोनों को पार्टी से निकालने का फरमान सुना दिया था। उन्होंने कहा कि पार्टी बचाने के लिए उन्होंने ऐसा सख्त कदम उठाया है। जब पत्रकारों ने इसपर सवाल उठाया तो मुलायम ने कहा कि जान लीजिए, देश के इतिहास में मैं पहला पिता हूं जिसने बेटे को अपने हाथों से मुख्यमंत्री बनाया है। सपा में जारी उठापटक पर पहले ही गहरा अफसोस जाहिर कर चुके वरिष्ठ नेता आजम खां पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। माना जा रहा है कि वह ना तो अखिलेश की बैठक में शामिल होंगे और ना ही मुलायम की बैठक में। इस बीच, सपा के राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह ने पार्टी में संकट को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने वाली पारिवारिक कलह में पार्टी सदस्यों से मुलायम सिंह यादव का समर्थन करने का आग्रह किया।
liveलंबे समय तक पार्टी से बाहर रहने के बाद हाल में वापसी करने वाले अमर ने कहा, ‘मैं पार्टी सदस्यों से नेताजी के साथ खड़े होने की अपील करता हूं। जो कुछ हो रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है।’ अमर ने कहा, ‘पार्टी की नींव मुलायम सिंह ने बहुत निष्ठा और कड़ी मेहनत से डाली थी। मैंने यह पहले भी कहा है और अब भी कहूंगा कि मुलायम सिंह सपा के अध्यक्ष हैं, साथ ही में अखिलेश के पिता भी हैं।’ गौरतलब है कि सत्तारूढ़ समाजवादी कुनबे में मची रार के बीच सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कल बेहद सख्त कदम उठाते हुए अपने मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव और अपने भाई पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव को पार्टी से छह साल के लिये निष्कासित कर दिया। सपा प्रमुख ने मुख्यमंत्री अखिलेश और महासचिव रामगोपाल को कारण बताओ नोटिस जारी करने के महज पौन घंटे के अंदर संवाददाता सम्मेलन कर दोनों को पार्टी से निकालने का फरमान सुना दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी बचाने के लिये उन्हें ऐसा सख्त कदम उठाया है। राजनीतिक अखाड़े के पहलवान मुलायम ने रामगोपाल द्वारा आगामी एक जनवरी को पार्टी का राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाये जाने को अवैध करार देते हुए कहा था कि इसका अधिकार केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष को है। रामगोपाल की हरकत से पार्टी को नुकसान हुआ है और चूंकि रामगोपाल के कृत्य में अखिलेश का भी समर्थन है, इसलिये उन्हें भी पार्टी से छह साल के लिये निकाल दिया गया है। मुलायम ने कहा कि रामगोपाल ने कुछ महीने पहले भी अनुशासनहीनता की थी। तब उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निकाला गया था। सार्वजनिक रूप से गलती स्वीकार करने के बाद उन्हें माफ कर सभी पदों पर बहाल कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में रामगोपाल ने अनुशासनहीनता के अनेक कृत्य किये हैं। शीर्ष नेतृत्व को बताए बगैर राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाकर उन्होंने न सिर्फ घोर अनुशासनहीनता की है बल्कि पार्टी को भारी आघात भी पहुंचाया है।
सपा मुखिया ने कहा कि अगर वह खुद भी यह सम्मेलन बुलाते तो पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी की या संसदीय बोर्ड की बैठक करते। उसके लिये कम से कम 15 दिन का समय लिया जाता है। यह पूरा अधिवेशन असंवैधानिक है। हमारी अपील है कि इसमें कोई सपा नेता या कार्यकर्ता शामिल न हों। यह पूरी तरह से अनुशासनहीनता है। अभी तो मैंने छह साल के लिए निकाला है। इसके बाद सोचेंगे कि और कड़ी सजा क्या दी जाए। पार्टी से निष्कासन पर रामगोपाल यादव ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि सपा मुखिया ने उन्हें और मुख्यमंत्री को बाकायदा नोटिस भेजा था और बिना उनके पक्ष को सुने की गयी निष्कासन की कार्रवाई पूरी तरह असंवैधानिक और गलत तथ्यों पर आधारित है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘पार्टी में लगातार शीर्ष स्तर से असंवैधानिक काम हो रहे हैं। अगर पार्टी का अध्यक्ष ही ऐसा काम करे तो राष्ट्रीय प्रतिनिधियों का सम्मेलन कौन बुलाएगा। मैं संसदीय बोर्ड का सदस्य सचिव था, उसकी एक भी बैठक नहीं हुई तो कैसे प्रत्याशी घोषित कर दिये गये। सारा काम असंवैधानिक हो रहा है। जब हजारों प्रतिनिधियों ने कहा तो हमने बैठक बुलायी।’ रामगोपाल ने कहा, ‘नेताजी ने कहा है कि पार्टी में हमारा कोई योगदान नहीं है लेकिन गैर-यादवों के बीच वोट के लिये रामगोपाल की ही जरूरत पड़ती है। चुनाव में पता लग जाएगा कि किसकी कितनी स्वीकार्यता है।’ इस बीच, अखिलेश को सपा से निकाले जाने की खबर सुनकर बड़ी संख्या में उनके समर्थक मुख्यमंत्री आवास के बाहर आ गये और ‘नेताजी न्याय करो’ के नारे लगाये। कुछ समर्थकों ने ‘मुलायम सिंह मुर्दाबाद’ के भी नारे लगाये।
इससे पहले मुख्यमंत्री द्वारा गुरुवार रात 235 प्रत्याशियों की समानान्तर सूची जारी किये जाने के बाद पैदा हालात के बीच सपा मुखिया ने शुक्रवार शाम को अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया। नोटिस में कहा गया है कि आपके द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष के समानान्तर सूची जारी किया जाना घोर अनुशासनहीनता है। इसलिए क्यों न आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। इसके अलावा मुलायम ने सपा महासचिव रामगोपाल यादव को भी बिना इजाजत के मीडिया में बयान देने पर नोटिस जारी किया। इसके बाद तेजी से बदले घटनाक्रम में रामगोपाल ने पार्टी महासचिव की हैसियत से आगामी एक जनवरी 2017 को राष्ट्रीय प्रतिनिधियों का आपात सम्मेलन बुलाया। मुलायम सिंह यादव और सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव को यह अपमानजनक लगा और आनन-फानन में संवाददाता सम्मेलन बुलाकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा महासचिव व राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव दोनों को पार्टी से निकालने की घोषणा कर दी।

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