नई दिल्ली : वित्तीय संकट से जूझ रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के बोर्ड को पूंजीगत खर्च और व्यावसायिक फैसले लेने के लिए व्यापक स्वायत्तता देने की योजना बना रही है।
कंपनी की कार्यकुशलता सुधारने के लिए दिए जाने वाले पैकेज में ऋण पुनर्गठन प्रस्ताव के साथ 150 अरब रुपये की वित्तीय सहायता भी शामिल होगी। एक अधिकारी ने बताया कि एयर इंडिया बोर्ड की स्वायत्तता इस शर्त पर निर्भर करेगी कि कंपनी वित्त वर्ष 2019 के बाद सरकार से वित्तीय सहायता नहीं मांगेगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने पिछले सप्ताह इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसका मकसद एयर इंडिया बोर्ड को नए विमानों को खरीदने या पट्टे पर लेने, परिसंपत्तियों को गिरवी रखकर पूंजी जुटाने, वरिष्ठ प्रबंधन स्तर पर पेशेवरों को नौकरी पर रखने और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के जरिये कर्मचारियों की संख्या सीमित करने जैसे अहम कारोबारी फैसले लेने का अधिकार देना है। अभी एयर इंडिया को इसके लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय से मंजूरी लेनी पड़ती है। साथ ही बोर्ड को एयर इंडिया की सहायक कंपनियों और रियल एस्टेट और जमीन जैसी गैर प्रमुख परिसंपत्तियों को बेचने के लिए जवाबदेह बनाने की भी योजना है। एयर इंडिया के मुख्य परिचालन अधिकारी के पद पर किसी अनुभवी व्यक्ति को नियुक्त किया जाएगा। इस अधिकारी को बाजार के हिसाब से वेतन-भत्ते दिए जाएंगे। वह कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक को रिपोर्ट करेगा और कंपनी के दैनिक परिचालन के लिए जवाबदेह होगा।
सरकार के दिशानिर्देशों के मुताबिक नवरत्न और मिनीरत्न कंपनियों के बोर्डों को संबंधित मंत्रालयों से मंजूरी लिए बिना व्यावसायिक फैसले लेने का अधिकार दिया गया है। इस प्रक्रिया के तहत आईटीसी के पूर्व चेयरमैन वाईसी देवेश्वर और आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला को स्वतंत्र निदेशक के तौर पर एयर इंडिया के बोर्ड में शामिल किया गया है। सरकार भी बोर्ड में एक प्रतिनिधि नामित करेगी। वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, इसके पीछे मकसद एयर इंडिया में विरासत के मुद्दों से छुटकारा पाना, कंपनी के कर्ज को कम करना और कामकाज की जिम्मेदारी पेशेवरों के हाथों में देना है। उम्मीद की जा रही है कि इन कंपनी के कामकाज में सुधार आएगा और वह मुनाफे की स्थिति में आएगी। इसका मतलब यह है कि अगले वित्त वर्ष से कंपनी अपने आंतरिक संसाधनों से काम चलाएगी। एयर इंडिया के कर्ज का भी पुनर्गठन किया जाएगा। कंपनी का करीब 300 अरब रुपये का कुल कर्ज एक विशेष उद्देश्य वाली कंपनी को हस्तांतरित किए जाएंगे। कंपनी पर करीब 500 अरब रुपये का कर्ज है और वह हर साल 50 अरब रुपये ब्याज के भुगतान पर खर्च करती है।