सरकार ने खड़े किए हाथ, एसटी छात्रों को पैसा नहीं
एजेंसी/ सूबे में अनुसूचित जनजाति के एक भी छात्र को फिलहाल न तो वर्ष 2015-16 की शुल्क की भरपाई हो पाएगी और न ही उन्हें वजीफा मिल सकेगा। केंद्र सरकार से बजट न मिल पाने के कारण राज्य सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं।
दशमोत्तर छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत सत्र 2015-16 में अनुसूचित जनजाति के 9500 छात्रों को करीब 12 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है। इस वर्ग के सभी छात्रों के वजीफे और शुल्क की भरपाई के लिए केंद्र सरकार बजट देती है, लेकिन इस सत्र के विद्यार्थियों के लिए उसने कोई रकम नहीं दी है।
केंद्र से समाज कल्याण विभाग को 4.60 करोड़ रुपये जरूर मिले, मगर यह राशि पिछले सत्र यानी वर्ष 2014-15 के 9307 एसटी विद्यार्थियों के बकाया भुगतान के लिए दी गई थी।
पिछले सत्र के बकाया भुगतान के लिए ही कुल 11 करोड़ रुपये चाहिए। पुनर्विनियोग (अन्य मदों की बचत) से भी 6.50 करोड़ रुपये ही जुट सके। यानी समाज कल्याण विभाग के पास जितना बजट उपलब्ध है, उससे 2014-15 के एसटी विद्यार्थियों को ही भुगतान हो सकेगा।
सामान्य, पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति के छात्रों के खातों में 29 फरवरी तक राशि भेज दी जाएगी।
अनुसूचित जाति व सामान्य वर्ग के 11वीं और 12वीं कक्षा के 1 लाख 31 हजार 895 छात्रों के खातों में कुल 39.83 करोड़ रुपये भेज दिए गए हैं।
समाज कल्याण विभाग का कहना है कि बाकी सभी छात्रों को भुगतान के लिए ट्रेजरी से बिल तैयार करवाए जा रहे हैं। बिल तैयार होने के बाद पब्लिक फाइनेंसिंग मैनेजमेंट सिस्टम के जरिये राशि सीधे छात्रों के खातों में भिजवा दी जाएगी।
इस पर समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार का कहना है कि अनुसूचित जनजाति के छात्रों को वर्ष 2015-16 का वजीफा और शुल्क की भरपाई के लिए हमारे पास बजट नहीं है। इस योजना का लाभ उन्हें अगले वित्त वर्ष का बजट मिलने पर ही दे पाएंगे।