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सर्जिकल स्ट्राइक से दिया जाएगा आतंकी हमलों का जवाब, तीनों सेनाओं ने मिलाया लिया अपना हाथ

परंपरागत और छद्म युद्ध सहित संभावित सभी तरह के सुरक्षा खतरों से पार पाने के लिए देश की तीनों सेनाओं ने गठजोड़ किया है। मंगलवार को नौसेना प्रमुख ने आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी देश विरोधी गतिविधियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एक ‘संयुक्त सिद्धांत’ का फॉर्मूला जारी किया है।
 
इसके तहत हमले या देशविरोधी गतिविधियों के दौरान थल सेना, नौसेना और वायुसेना बेहतर तालमेल के साथ सैन्य ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को प्रमुख हथियार के तौर पर इस्तेमाल पर जोर दिया गया है।

जारी फॉर्मूले के मुताबिक मौजूदा समय में देश कई तरह के सुरक्षा खतरों से जूझ रहा है। इनमें बाहरी खतरों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों द्वारा प्रॉक्सी वॉर और देश के कई हिस्सों में माओवादियों का आतंक शामिल है। इसमें कहा गया है कि आतंक विरोधी ऑपरेशन में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को सबसे ऊपर रखा जाएगा।

जारी दस्तावेज के मुताबिक भारत कई तरह के संघर्ष की स्थिति से निपटने के लिए व्यावहारिक और कठोर कदम उठा रहा है। इसमें भड़काने वाली सशस्त्र आतंकी कार्रवाई का जवाब देने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक बहुत बड़ा हथियार हो सकता है।

संयुक्त सिद्धांत में सेना के जवानों का संयुक्त प्रशिक्षण, यूनिफाइड कमांड और नियंत्रित ढांचे के अलावा तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण का प्रावधान है। नया फॉर्मूला रणनीति और किसी ऑपरेशन को अंजाम देने में मददगार होगा। चाहे यह ऑपरेशन जमीन पर हो, आसमान में हो, समुद्र और अंतरिक्ष या साइबर स्पेस में ही क्यों न हो, एक व्यापक रूपरेखा के तहत काम होगा। नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने इस संयुक्त सिद्धांत को जारी किया।

इसके मुताबिक इस प्रयोग से जहां सेना के तीनों अंगों में बेहतर तालमेल होगा, वहीं धन की बचत होगी और संसाधनों का सर्वोत्तम इस्तेमाल हो पाएगा। इस मौके पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ भी मौजूद थे। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि सशस्त्र सेनाओं में एकरूपता और सामूहिकता जीवन के किसी अन्य क्षेत्र की तरह ही समय की मांग है। 

संवेदनशील सीमाओं को सुरक्षित करने पर जोर

दस्तावेज में कहा गया है कि देश में सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक है। उत्तरी, पश्चिमी और पूर्वी सीमा काफी संवेदनशील हैं और इसमें भारत का रणनीतिक हित है। इसमें नियंत्रण रेखा (एलओसी) और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) भी शामिल है। इन्हें खौफ पैदा करके प्रभावकारी तरीके से सुरक्षित किया जा सकता है।

आठ साल पहले जारी हुआ था दस्तावेज का पहला भाग
संयुक्त सिद्धांत का पहला संस्करण आठ साल पहले जारी किया गया था। मंगलवार को जारी दूसरे संस्करण में कहा गया है कि देश की अखंडता को बनाए रखना और उसकी संप्रभुता को सुरक्षित रखना भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है।

सैन्य ऑपरेशन पर क्या कहता है दस्तावेज
सैन्य ऑपरेशन के बारे में कहा गया है कि जमीन, आसमान या समुद्र में युद्ध की स्थिति में कमांडरों को संयुक्त रूप से युद्ध की रणनीति बनाकर अचूक तंत्र विकसित करना पड़ेगा। इसके साथ ही डिफेंस साइबर एजेंसी, डिफेंस स्पेस एजेंसी और स्पेशल ऑपरेशन डिवीजन के लिए एक तंत्र विकसित करने के लिए कदम उठाना पड़ेगा।

इसके साथ ही कहा गया है कि हिंद महासागर क्षेत्र में विदेशी ताकतों की मौजूदगी भारत की सुरक्षा चुनौतियों के लिए गंभीर चिंता की बात है। इसके अलावा अफगानिस्तान और पाकिस्तान में कमजोर सुरक्षा वातावरण और पड़ोसी मुल्क द्वारा जम्म-कश्मीर में परोक्ष युद्ध के समर्थन से कट्टरपंथी विचारों का विस्तार हो रहा है।

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