सर्वे रिपोर्ट- असम में कम हुआ मोदी प्रेम, मुश्किल में भाजपा
एजेन्सी/ गुवाहाटी। असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। असम के लोगों में बीजेपी के लिए जो प्रेम था, वो वक्त के साथ कुंद हो गया। इसके कई कारण हैं, लोग कहते हैं कि मोदी जी का काम जमीन पर दिख नहीं रहा है। लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान वायदे में जितनी गति थी, काम में वो गति नहीं दिखता।
यनि टीम मोदी का जादू असम पर चलना मुश्किल लग रहा है। क्योंकि असम के लोग ज्यादातर मुद्दों पर प्रधानमंत्री पर भरोसा करते नहीं दिख रहे हैं, लिहाजा असम विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं है। एवीसी सर्वे में कई ऐसी बातें सामने आयी हैं, जिनसे साफ है कि भाजपा की नैया असम में पार लगना मुश्किल है।
एवीसी सर्वे के निदेशक अजीत के झा के अनुसार बीजेपी आज की तारीख तक 35 सीट भी जीतती नजर नहीं आ रही है। मुसलमान जो 34 प्रतिशत के आस-पास है वो ज्यादातर अजमल के साथ हैं। कांग्रेस के लिए अच्छी बात यह है कि एआईयूडीएफ के प्रभाव वाले सीट को छोड़कर बाकी पर मुसलमान का समर्थन कांग्रेस के साथ है।
सर्वे की अन्य बातें
चाय बगान में काम करने वालों का सर्मथन 70% के आस-पास कांग्रेस के साथ है।
चाय बागान कर्मियों में 30% लोग बीजेपी को वोट देने की बात कर रहे हैं।
चाय कर्मियों के वोट बैंक में सेंध नहीं मार पाना बीजेपी की सबसे बड़ी रणनीतिक हार होगी।
तरुण गोगोई अहोम जाति से आते हैं, जो आबादी में तकरीबन 15 से 16% है।
इस वोट बैंक में कांग्रेस मजबूत है।
अहोम जाति पर बीजेपी की स्थिति भी अच्छी है।
बंगाली हिन्दू और हिन्दी भाषी लोगों में बीजेपी की स्थिति अच्छी है, जो आबादी में 10 से 12 % के हिसाब से है।
एआईयूडीएफ कुछ सीटें नीचे भी आ सकती है और कांग्रेस को बढ़त मिल सकती है, लेकिन यह बातें चुनाव से 1 या 2 दिन पहले तय होगी।
आज की स्थिति में बीजेपी 32 से 35 सीटें , कांग्रेस 40 सीटें, एआईयूडीएफ 25, बीपीएफ 8 से 9 , एजीपी 8 से 10 सीटें जीतती दिख रही है।
जबकी 6 से 8 सीटों का आकलन करना संभव नहीं है। मोदी फैक्टर असम में कारगर हो सकता है, अगर प्रधानमंत्री सही भाषा का चयन रखें, भाषण में गंभीरता रखे और भाषण कम विश्वास ज्यादा जीतें। ख़ास बात यह है कि एक बड़े फेर बदल की संभावना भी है।