देरहादून| देश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों और विचारकों ने शनिवार को राष्ट्रवाद की निंदा की और केंद्र सरकार पर देश में घृणा और नफरत फैलाने का आरोप लगाया। देहरादून में आयोजित एक साहित्य महोत्सव के आखिरी दिन एक ही विचारधारा से संबद्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों नयनतारा सहगल, नंदिता हक्सर, हर्ष मंदर और किरन नागरकर ने सार्वजनिक तौर पर राष्ट्रवाद को आड़े हाथों लिया।
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राष्ट्रवाद को जरा भी तवज्जो नहीं देता : किरन नागरकर
‘डब्ल्यूआईसी इंडिया देहरादून कम्यूनिटी लिटरेचर फेस्टिवल’ के आखिरी दिन शनिवार को ‘डिजिटल भारत में राष्ट्रवाद’ विषय पर आधारित सत्र का संचालन कर रहीं प्रख्यात पत्रकार राणा अय्यूब ने परिचर्चा को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली मौजूदा केंद्र सरकार में राष्ट्रवाद विषय पर केंद्रित कर दिया। साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित लेखक किरन नागरकर से डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले अमेरिका और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले भारत में समानता पर अपने विचार रखने के लिए कहा गया।
इस पर नागरकर ने अमेरिका में ‘कुछ मुस्लिम देशों के नागरिकों पर लगे प्रतिबंध’ का संदर्भ देते हुए कहा कि किसी एक समुदाय को अलग-थलग करना सही नहीं है। नागरकर ने यहां तक कहा कि भारत में हिंदू भी आतंकवाद फैलाने में उतने ही सक्षम हैं, जितना अन्य समुदाय। नागरकर ने कहा कि वह राष्ट्रवाद को जरा भी तवज्जो नहीं देते, इसके बावजूद खुद के भारतीय होने पर गर्व करते हैं।
नागरकर ने कहा, “मुझे भारतीय होने पर गर्व है, लेकिन राष्ट्रवाद पर मैं लानत भेजता हूं। मैं नहीं चाहता कि भारत एक महान देश बने। इसके बजाय मैं चाहता हूं कि भारत एक अच्छा देश बने, जहां सभी को प्यार और सम्मान मिले और जहां सभी लोगों के अधिकार सुरक्षित हों।”
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देश की मौजूदा सरकार को देशवासियों के बीच नफरत फैलाने का जिम्मेदार ठहराते हुए नागरकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सवालों से नफरत करती है। उन्होंने कहा, “मौजूदा सरकार पूरे देश में नफरत ही फैला रही है। वे घृणा और नफरत का बीच बो रहे हैं।”