दस्तक टाइम्स/एजेंसी: कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यवस्था के तहत अनमैरिड और तलाकशुदा औरतों को इस बात के अधिकार दिए थे कि वह अकेले रहकर बच्चों की परवरिश कर सकती हैं। उन्हें बच्चे के पिता से पूछने या उनका नाम इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है। लेकिन क्या सिर्फ एक आदेश के तहत सिंगल पेरेंटिंग सहज हो सकती है। आमतौर पर सिंगल पेरेंटिंग में बच्चों का इमोशनल लगाव मां से ज्यादा हाेता है, जबकि पिता के पास रह रहे बच्चे इकोनॉमिकली फ्री होते हैं।
अभिभावक रखें ध्यान
सिंगल पेरेंट्स का आशावादी रवैया बच्चों पर बुरा असर डालता है। ऐसे में किसी भी पेरेंटस के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह अपना अपराध बोध, असुरक्षा और किसी भी तरह की दुर्भावना बच्चों के सामने जाहिर न होने दें। कोशिश करें की अलग रह रहे पेरेंट्स के बारे में बच्चों के मन में गलत बातें न पनपें।
बच्चों को शुरू से ही घर की छोटी- मोटी जिम्मेदारियां देकर रखें। इस सिचुएशन में पल रहे रहे बच्चे पेरेंट्स से ज्यादा उम्मीद करते हैं। इसलिए कामकाजी जीवन और पुरानी भड़ास को बच्चों पर न उतारें।
बच्चे रखें ध्यान
बच्चों को अभिभावकों के तलाक की स्थिति में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी मां या पिता किसी न किसी मजबूरी के तहत अलग हुए हैं। इसलिए बार-बार अपने साथ रह रहे माता या पिता को गलत न ठहराएं।
अगर मां या पिता में से किसी एक का देहांत हो चुका हो तो साथ रह रहे अभिभावक को भावनात्मक संबल दें। अगर वह आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए काम पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, तो उन पर अतिरिक्त भार डालने के बजाय घरेलू जिम्मेदारियों का एहसास करें।
क्या हैं दिक्कतें
मां-बच्चों के बीच ज्यादा प्रेम
पुरुष की बजाय महिलाओं को सिंगल पेरेंटिंग में ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बावजूद इसके बच्चों और मां के बीच प्रेम ज्यादा होता है। लेकिन पिता के साथ बच्चों का भावनात्मक संबंध उतना ज्यादा नहीं हो पाता।
आर्थिक परेशानी बड़ी वजह
पिता अक्सर नौकरी को लेकर बच्चों के साथ कांंप्रोमाइज कर लेते हैं, जबकि मां बच्चों की परवरिश के लिए नाैकरी से भी समझौता कर लेती हैं। यही वजह है कि मां की आिर्थक स्थिति पिता की तुलना में ज्यादा अच्छी नहीं रह पाती।
ये बातें होंगी मददगार
जीवन में आ रही समस्याओं के बारे में किसी विश्वसनीय दोस्त से बातें शेयर करें। उनकी सलाह काफी मददगार हो सकती है।
सिंगल पेरेंट्स और बच्चों दोनों को ही लाइफ में थोड़ी स्पेस जरूरी है। इसलिए कोई हॉबी डेवलप करने की कोशिश करें। यह मानसिक रूप से सुकून देगा।
अपनी निजी जिंदगी से वक्त निकालकर एक-दूसरे के साथ वक्त बिताएं। कभी पिकनिक जाएं तो कभी दोस्तों के साथ पार्टी इन्जॉय करें।