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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सीबीआई के दो सर्वोच्च अधिकारियों की लड़ाई पब्लिक के बीच आ गई थी, ऐसे में केंद्र सरकार इस पूरे मामले को लेकर चिंतित थी।
- एससी ने पूछा कि क्या सबूत है कि आलोक वर्मा अपनी लड़ाई को जनता के बीच ले जाने वाले हैं
- इसके बाद एजी वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को कुछ अखबारों में छपी खबरों की कटिंग सौंपी
- एजी ने कोर्ट को बताया कि सीबीअाई का विवाद इतना बढ़ गया था कि केंद्र को दखल देना ही पड़ा
- अटॉर्नी जनरल ने कहा जनता का CBI में विश्वास बनाए रखने के लिए केंद्र ने विवाद में दखल दिया
नई दिल्ली: सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सीबीआई के दो सर्वोच्च अधिकारियों की लड़ाई पब्लिक के बीच आ गई थी, ऐसे में केंद्र सरकार इस पूरे मामले को लेकर चिंतित थी। सरकार और सीवीसी को फैसला लेना था कि कौन सही है और कौन गलत। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एजी से पूछा कि क्या उनके पास कोई सबूत है कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा अपनी लड़ाई को जनता के बीच ले जाने वाले हैं। इसके बाद एजी वेणुगोपाल ने कोर्ट को अखबारों में छपी खबरों की कटिंग सौंपी।
ऐजी ने कहा, ‘सीबीआई में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए सरकार की तरफ से कार्रवाई बेहद जरूरी थी। स्थिति ऐसी आ गई थी कि केंद्र सरकार को दखल देना पड़ा। मामले की सावधानीपूर्वक जांच करने के बाद केंद्र ने फैसला लिया कि सीबीआई डायरेक्टर को छुट्टी पर भेज दिया जाए।’ एजी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, ‘सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच लड़ाई आम जनता के बीच चर्चा का विषय बन गई थी। केंद्र सरकार इस मामले पर नजर बनाए हुए थी। दोनों ही बिल्लियों की तरह लड़ रहे थे।’
बता दें कि इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान आलोक वर्मा के वकील फली एस नरीमन ने कहा कि सीबीआई डायरेक्टर का कार्यकाल दो साल के लिए फिक्स होता है और उससे पहले उन्हें ट्रांसफर भी नहीं किया जा सकता। अगर ट्रांसफर करना भी है तो हाई पावर कमिटी की मंजूरी जरूरी है लेकिन मौजूदा मामले में आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजा गया फिर भी हाई पावर कमिटी की मंजूरी नहीं ली गई। वहीं, केंद्र सरकार की ओर से दलील की शुरुआत करते हुए अटर्नी जनरल ने कहा कि नियम के तहत सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति हाई पावर कमिटी की अनुशंसा से होती है लेकिन छुट्टी पर भेजने का अधिकार केंद्र के पास है। बहरहाल सुनवाई जारी है और अगली सुनवाई बुधवार को होगी।