छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए दुस्साहसिक नक्सली हमले में 25 जवान शहीद हो चुके हैं तो दर्जनों की संख्या में जवान विभिन्न अस्पतालों में मौत से जंग लड़ रहे हैं। नक्सलियों ने जवानों पर घात लगाकर उस समय हमला किया जब सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के जवान चिंतागुफा के पास बुर्कापाल में रोड ओपनिंग के लिए निकले थे।
हमले में काफी संख्या में जवान घायल भी हुए हैं। इसी जानलेवा हमले के बीच मौत के मुंह से निकल कर आए एक जवान ने पूरी घटना का वाक्या अपनी जुबां से बयां किया। बहादुरी के साथ नक्सलियों से लड़े जवान ने बताया कि किस तरह अचानक सैकडों की संख्या में नक्सली झुंड के झुंड में उन पर टूट पड़े। पढ़िए जवान की जुबानी हमले की कहानी-
ग्रामीण को भेजा हमारी टोह लेने के लिए, फिर बोला हमला
हमले में घायल हुए सीआरपीएफ के कांस्टेबल शेख मोहम्मद ने बताया कि वह सोमवार सुबह चिंतागुफा से पट्रोलिंग के लिए निकले थे। नक्सलियों को हमारे मूवमेंट की जानकारी मिल चुकी थी इसके लिए उन्होंने कुछ ग्रामीणों को भेजकर हमारी सही लोकशन मालूम की। इसी बीच हम कुछ समझ पाते 50-50 की टुकड़ी में 300 से ज्यादा नक्सलियों ने हम पर हमला बोल दिया। वो वर्दी पहने हुए थे।
हमारी संख्या भी 150 के करीब थी, दोनों तरफ से जोरदार गोलीबारी हुई। लेकिन वह पूरी तैयारी करके आए थे और उन्होंने हम पर हमले के लिए रॉकेट लांचर का भी उपयोग किया। दर्जनों की संख्या में रॉकेट लांचर से हम पर बम दागे गए। जिसमें काफी संख्या में हमारे जवान घायल हो गए।
जवान ने बताया कि हमने भी उनके हमले का माकूल जवाब दिया। बकौल जवान उन्होंने भी कई नक्सलियों को अपनी मशीनगन की गोलियों से मार गिराया। बकौल जवाब हमने भी बहुत सारे नक्सली मारे हैं, काफी सारे घायल भी हुए हैं। जवान के अनुसार वो संख्या में हमसे बहुत ज्यादा थे फिर भी हमने बेखौफ होकर उनकी गोलियों का सामना किया। घायल जवान के अनुसार काफी संख्या में नक्सली मारे गए हैं और घायल हुए हैं।
नक्सलियों की मदद करते हैं ग्रामीण, पुलिस भी नहीं करती सहयोग
हमले में घायल हुए एक अन्य जवान ने बताया कि जिस तरह से नक्सलियों ने हम पर हमला किया उससे साफ जाहिर है कि स्थानीय लोगों ने उन्हें हमारे मूवमेंट की पूरी जानकारी दी। घायल हालत में अस्पताल में भर्ती जवान ने आक्रोश से बताया कि ग्रामीण नक्सलियों की पूरी मदद करते हैं वो दिन में अपने हथियार छुपा देते हैं और रात को अपने हथियार निकाल कर नक्सलियों के साथ हो जाते हैं।
छत्तीसगढ़ पुलिस के प्रति भी जवान का आक्रोश बाहर आ गया, आरोप लगाया कि पुलिस भी सीआरपीएफ जवानों का सहयोग नहीं करती है इसकी वजह से वह लोकल इलाकों में फंस कर रहे जाते हैं। जवान का कहना था कि उन्हें स्थानीय इलाकों की जानकारी नहीं होती और बिना किसी स्थानीय मदद के उन्हें जंगलों में झोंक दिया जाता है।
जवान के अनुसार सीआरपीएफ के सभी कैंपों में एक एक पुलिस चौकी होनी चाहिए जिससे जवानों को स्थानीय इलाकों की जानकारी मिल सके। जवान ने साफ कहा कि न स्थानीय ग्रामीण उनकी मदद करते हैं न छत्तीसगढ़ पुलिस।