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सुपौल के कस्तूरबा मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई कड़ी नाराज़गी

नई दिल्ली/पटना। सुपौल के कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय में एक दिन पहले कई मनचलों के घुसने का मामला सामने आया था। इन्होंने छात्राओं और शिक्षकों से मारपीट की। इस घटना में 34 छात्राओं को गंभीर चोट आई और उन्हें अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जानकारी के अनुसार शनिवार की शाम को कुछ छात्राएं विद्यालय परिसर में खेल रही थीं। इस दौरान कुछ मनचले उन पर अभद्र टिप्पणी करने लगे और फब्तियां कसने लगे।छात्राओं ने इसकी शिकायत अपने अध्यापकों से की। इसके बाद अध्यापक और अन्य लोग मनचलों को समझाने गए, लेकिन वे उनसे ही उलझ गए। बिहार के सुपौल में कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय की छात्राओं से मारपीट के मामले में पुलिस ने 9 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। अधिकतर आरोपी नाबालिग यानी 18 साल से कम उम्र के हैं। इन आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। बिहार के सुपौल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराज़गी जताई है। यह ठीक नहीं है। लड़कियों के कंकाल मिल रहे हैं, 34 लड़कियों को इसलिए पीटा गया क्योंकि वे खुद को छेड़खानी से बचाने की कोशिश कर रही थीं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा है की बच्चो के साथ ये नहीं होना चाहिए। घटना शनिवार शाम की है। इस मामले में चार महिलाओं समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें पांच लड़के नाबालिग बताए जा रहे हैं। लड़कियों का आरोप है कि पड़ोस के स्कूल के कुछ छात्र स्कूल की दीवार पर अश्लील बातें लिखते थे। शनिवार को जब मैदान में खेल रही थीं तब उन पर अश्लील टिप्पणियां करने लगे। विरोध करने पर उनकी झड़प हो गई। उन्होंने लड़कों को पीटकर वहां से खदेड़ दिया। लड़कों के परिवारवालों को बात पता चली तो उन्होंने स्कूल पहुंचकर लड़कियों से मारपीट कर दी। 34 लड़कियों को जख्मी हालत में अनुमंडल अस्पताल त्रिवेणीगंज में भर्ती कराया गया, जहां से तीन छात्राओं को सदर अस्पताल सुपौल रेफर कर दिया गया। सुपौल कलेक्टर बैद्यनाथ यादव ने बताया कि दोनों स्कूल एक ही परिसर में हैं, लेकिन खेल का मैदान एक ही हैं।

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