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सुप्रीम कोर्ट का फैसला, दूध में मिलावट पर हो उम्रकैद जैसी सख्त सजा

नई दिल्ली। दूध में मिलावट पर गंभीर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मिलावट रोकने के लिए केंद्र और राज्यों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाली मिलावट पर उम्रकैद जैसी कड़ी सजा का पक्षधर है।milk_05_08_2016

कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में संशोधन कर सजा सख्त करने पर विचार करे जैसा कि कुछ राज्यों ने किया है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक (एफएसएस) कानून पर भी पुनर्विचार किया जाए, जिसमें फिलहाल मिलावट के लिए छह महीने के कारावास की सजा का प्रावधान है।

उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल ने आइपीसी की धारा 272 और 273 में संशोधन कर स्वास्थ्य को गंभीर हानि पहुंचाने वाली मिलावट पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हालांकि मिलावट पर आइपीसी के तहत मामला चलाए जाने का उत्तर प्रदेश सरकार का आदेश यह कहते हुए रद कर दिया था कि खाद्य सुरक्षा कानून विशेष कानून है और उसके रहते आइपीसी के प्रावधान लागू नहीं होंगे। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ 2012 से उत्तर प्रदेश सरकार की अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर, न्यायमूर्ति आर भानुमति और यूयू ललित की पीठ ने शुक्रवार को दूध में मिलावट का मुद्दा उठाने वाली जनहित याचिका का निपटारा करते हुए दिशा-निर्देश जारी किए। स्वामी अच्युतानंद तीरथ ने इस याचिका में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में दूध की मिलावट व सिंथेटिक दूध की बिक्री का मुद्दा उठाया था।

सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश

1- केंद्र और राज्य सरकारें एफएसएस कानून को और प्रभावी ढंग से लागू करें।

2- राज्य सरकार डेयरी चलाने वालों और फुटकर विक्रेताओं को सूचित करें कि अगर दूध में केमिकल, पेस्टीसाइड, कास्टिक सोडा या कोई अन्य केमिकल पाया गया तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

3- राज्य खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण दूध में मिलावट के ज्यादा खतरनाक क्षेत्रों को चिह्नित करें और वहां से जांच के ज्यादा नमूने लिये जाएं।

4- राज्य प्राधिकरण सुनिश्चित करें कि मिलावट की जांच के लिए उपकरणों से लैस प्रयोगशालाएं और जांच तंत्र हो।

5- दूध के नमूने लेने और जांच के विशेष इंतजाम किए जाएं, जैसे मोबाइल जांच वैन या जांच किट आदि शुरू हो।

6- मिलावट रोकने के लिए राज्य स्तर पर मुख्य सचिव या डेयरी विभाग के सचिव और जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएं।

7- राज्य वेबसाइट बनाएं जिसमें खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण के काम और जिम्मेदारियां बताई जाएं साथ ही जागरूकता और शिकायत तंत्र विकसित किया जाए। वेबसाइट पर संयुक्त आयुक्त व खाद्य सुरक्षा आयुक्त का संपर्क ब्योरा दिया जाए ताकि शिकायत दर्ज कराई जा सके।

8- सभी राज्य इसके लिए टोल फ्री नंबर और ऑनलाइन शिकायत तंत्र विकसित करें।

9- दूध में मिलावट के हानिकारक प्रभावों के प्रति लोगों और बच्चों में जागरूकता लाई जाए।

10- खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत का तंत्र विकसित किया जाए ताकि भ्रष्टाचार और अनैतिक गतिविधियों पर रोक लगे।

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