नयी दिल्ली : ‘लव जिहाद’ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाते हुए हादिया उर्फ अखिला अशोकन के निकाह को फिर से बहाल कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने केरल हाई कोर्ट के उस फैसले को भी पलट दिया है, जिसमें शादी की वैधता के रद्द किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद हादिया अब अपने पति शफी के साथ रह सकेंगी। अदालत ने कहा कि एनआईए इस मामले से निकले पहलुओं की जांच जारी रख सकता है। कोर्ट के बाहर शफी के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले से हादिया को आजादी दी।
गौरतलब है कि पिछले साल हादिया ने मुस्लिम धर्म अपनाकर शफी जहां नाम के शख्स से निकाह कर लिया था, जिसके बाद लड़की के पिता अशोकन केएम ने इस मामले को लेकर न्यायालय में गुहार लगायी थी। केरल हाईकोर्ट ने इसे ‘लव जिहाद’ का मामला मानते हुए शादी को रद्द कर दिया था। हादिया के पति शफी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल नवम्बर माह में हादिया को तमिलनाडु के सलेम स्थित होम्योपैथिक कॉलेज में अपनी शिक्षा जारी रखने की अनुमति दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने हाई कोर्ट का फैसला पलटते हुए कहा कि हादिया की शादी को रद्द करने का फैसला पूरी तरह गलत था। कोर्ट ने कहा कि हादिया अपनी पढ़ाई जारी रख सकती है और जो वह चाहती हैं कर सकती हैं। इससे पहले इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए को झटका देते हुआ कहा था कि हादिया बालिग हैं और उन्हें अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार है, इसलिए एनआईए शादी की वैधता की जांच नहीं कर सकती है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि अगर लड़का-लड़की कहते हैं कि उनकी शादी हुई है तो इस पर जांच नहीं हो सकती। हालांकि, कोर्ट ने लव जिहाद के मामलों पर एनआईए की जांच का आदेश वापस लेने पर कुछ नहीं कहा।