ज्ञान भंडार

सेम्स को जेल में ही छोड़ आए डॉ. भंडारी, 20 माह में 20 किलो वजन घटा

dr_vinod_bhandari2_04_10_2015इंदौर। श्री अरबिंदो इंस्टि्यूट ऑफ मेडिकल एंड साइंस (सेम्स) के डायरेक्टर डॉ. विनोद भंडारी शनिवार को जेल से छूट गए, लेकिन वे सेम्स को जेल में ही छोड़ आए। उन्होंने वहां कभी न जाने की कसम खाई है। अब वे देशभर में लाइफ स्टाइल डिसीस सेंटर खोलना चाहते हैं। जेल में उनका 20 किलो वजन घट गया है। दो दिन से परिवार के साथ पूजा-पाठ में लगे हैं।

 
डॉ. भंडारी के खिलाफ स्पेशल टॉस्क फोर्स ने अक्टूबर 2013 में दो मामले दर्ज किए थे। करीब 20 महीने जेल रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। शनिवार शाम करीब 4 बजे वे जेल से बाहर आए। उन्होंने बेटे डॉ. मोहक से कहा- अब मैं सेम्स नहीं जाऊंगा। मैं देशभर में लाइफ स्टाइल डिसीस सेंटर खोलना चाहता हूं। इसके जरिये मैं नया करना चाहता हूं। 20 साल में बहुत कुछ किया लेकिन 20 महीने जेल में बहुत कुछ सीखने को भी मिला। डॉ. मोहित ने पुष्टि करते हुए बताया कि पिता छह महीने इंदौर नहीं आएंगे। उन्होंने सेम्स जाने से इंकार कर दिया है।
 
कैदियों से गले मिले, रुपए-कपड़े भी छोड़ आए
 
जेल अफसरों के मुताबिक दो दिन पूर्व जमानत स्वीकार होने की खबर जेल पहुंच गई थी। बेटा व दोस्त फ्लाइट से ऑर्डर की कॉपी लेने पहुंच गए थे। डॉ. भंडारी इसके बाद और बेचैन हो गए। वे जल्द बाहर आना चाहते थे। शनिवार सुबह भी समय से पहले ही उठ गए। बाहर निकलने के पूर्व साथी कैदियों से मिले।
 
कुछ कैदियों को कपड़े और रुपए भी दिए। जेल अफसरों के मुताबिक उनका जेल में करीब 20 किलो वजन घट गया। बाहर निकलते ही आंखें छलक आई थीं। डॉ. भंडारी के पारिवारिक मित्र के मुताबिक सुबह 6 बजे पत्नी और बेटे नए कपड़े और खाना लेकर भोपाल रवाना हो गए थे। बाहर आते ही रिश्तेदार के फ्लैट पर ले गए।
 
ऐसे हुई थी गिरफ्तारी
 
एसटीएफ ने नितिन महिंद्रा की हार्ड डिस्क जब्त की। उसमें नोटशीट और एक्सल सीट में 150 छात्रों की जानकारी मिली। इसी आधार पर भंडारी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के जीएम प्रदीप रघुवंशी को गिरफ्तार किया। रघुवंशी ने डॉ. भंडारी के एजेंट के रूप में काम करना स्वीकारा। इसी प्रकार डॉ. मूलचंद हारगुलानी ने भी धारा 164 के तहत बयान दिया कि डॉ. भंडारी ने 20 लाख की मांग की थी। रुपए नहीं देने पर बेटे का एडमिशन नहीं हुआ।
 
इन धाराओं में केस
 
420, 467, 468, 471, 120 और 3डी/1/4 मप्र मान्यता प्राप्त अधिनियम 1937 व आईटी एक्ट 65, 66।
 
ऐसे पकड़ाए
 
पीएमटी और प्री-पीजी घोटाले में नाम आते ही एसटीएफ ने छापे मारे। डॉ. भंडारी विदेश भाग गए। जबलपुर हाई कोर्ट से जमानत मिलने पर ऑर्डर कॉपी लेकर वकील और दोस्तों के साथ एसटीएफ ऑफिस पहुंचे। एडीजी सुधीर साही ने गुपचुप एक और मुकदमा दर्ज कर लिया। जैसे ही डॉ. भंडारी ऑफिस पहुंचे उन्हें लॉकअप में डाल दिया।
 
 
 
 

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