सौर ऊर्जा से पर्यावरण बचाने की पहल
डी.एन. वर्मा
आज पर्यावरण असंतुलन के कारण सम्पूर्ण विश्व आपदाओं से घिरा हुआ है। इसका मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि है। विकिसित व विकासशील देशों में औद्योगीकरण की बेतहाशा बढ़ोतरी तथा प्रत्येक वर्ष सभी प्रकार के वाहनों के उपयोग में कई गुना वृद्धि से पर्यावरण को जबर्दस्त नुकसान हो रहा है। कार्बन उत्सर्जन की मात्रा व अन्य नुकसानदायक गैसों की वायुमण्डल में निरन्तर वृद्धि होने से वैश्विक तापमान बढ़ता चला जा रहा है तथा बीते चार दशकों में तापमान में 2-3 डिग्री सेन्टीग्रेड की वृद्धि हो चुकी है। इन कारणों से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। आपदाओं से कही पर अतिवृष्टि से जानमाल का नुकसान तो कही सूखे की मार ने जनजीवन को तहस नहस कर रखा है।
बात चूंकि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ कमाई से भी जुड़ा हुआ है, इसलिए राजधानी वासियों में रूफटॉप सोलर प्लांट लगवाने को लेकर जबर्दस्त उत्साह है। सोलर प्लांट से घर तो जगमग हो ही रहा है, इसके साथ ही तैयार हुई अतिरिक्त बिजली को बेचकर कमाई भी हो रही है। खास बात यह है कि छत पर सोलर प्लांट लगवाने के लिए बड़े सरकारी-गैर सरकारी संस्थानों को छोड़कर वह लोग भी रुचि दिखा रहे हैं जिन्हें अपने घर को रोशन करना है। केजीएमयू और लोहिया संस्थान जैसे बड़े संस्थानों पर सोलर प्लांट लगाने का काम चल रहा है। राजधानी में कई लोगों के घर सौर ऊर्जा से रोशन हो चुके हैं, कई जगह सिस्टम लग चुका है जो शीघ्र ही चालू हो जायेगा। गोमतीनगर निवासी प्रो. भरत राज सिंह का घर सौर ऊर्जा से संचालित है। राजाजीपुरम में रहने वाले रवीन्द्र जैन के घर सोलर प्लांट स्थापित किया जा चुका है। इंदिरानगर निवासी आर.के. भोजवानी का घर भी जल्द ही सौर ऊर्जा से जगमग होगा। इतना ही नहीं, नेडा के पास ऐसे लोगों की लम्बी फेहरिस्त है जो जल्द से जल्द अपने घर पर रूफ टॉप सोलर प्लांट लगवाना चाहते हैं।
भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय पर जो कंपनियां चैनल पार्टनर हैं, उनसे आप सीधे संपर्क करके सिस्टम लगवा सकते हैं लेकिन इसमें सब्सिडी बाद में आपके खाते में आती है। वहीं नेडा द्वारा काम करवाने पर सब्सिडी काटकर भुगतान किया जाता है।
लखनऊ शहर का पहला पांच केवी सौर ऊर्जा संचालित
वरिष्ठ पर्यावरणविद प्रो. भरत राज सिंह ने लखनऊ शहर के आवासीय घरों पर सौर्य ऊर्जा के उपयोग से पर्यावरण को बचाने की एक नयी पहल की है। उत्तर प्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार की ‘सौर ऊर्जा नीतियों’ के तहत गोमती नगर क्षेत्र में अपने ‘आवासीय घर’ पर पांच किलोवाट का ‘सौर ऊर्जा उत्पादन का प्लान्ट लगाया गया है जिसे ‘नेट मीटरिंग’ के माध्यम से उ0प्र0 विद्युत संस्थान के द्वारा जुड़वाया है। उनका कहना है कि जहां उनके मकान का विद्युत बिल पहले 2000-3000 रुपये प्रतिमाह आता था, अब सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन करने से किसी-किसी माह उनका जेनेरेशन, विद्युत उपयोग के सापेक्ष ज्यादा होता है। यह कनेक्शन जनवरी के प्रथम-माह में लगवाया गया और अभी तक प्रतिदिन औसतन 20-25 यूनिट सौर ऊर्जा विद्युत पैदाकर ‘पावर कारपोरेशन’ के लाइन में इन्जेक्ट हो रही है। अप्रैल व मई, 2016 के प्रथम सप्ताह में इसका उत्पादन 30-32 यूनिट हो रहा है। प्रो. भरत राज सिंह का कहना है कि लखनऊ में उनकी पहल सर्वप्रथम मकान की छत पर ‘सौर ऊर्जा’ उत्पादन का है। वह सभी नगरवासियों से अपील करते है कि विश्व पर्यावरण संकट को कम करने में सभी लोग अपनी भागीदारी बढ़ाए और प्रदेश सरकार व भारत सरकार की नीतियों का पूर्ण लाभ उठाकर सौर ऊर्जा बिजली उत्पादन में लखनऊ को ‘सर्वश्रेष्ठ’ शहर बनाने में सहयोग प्रदान करे।
प्रो0 भरत राज सिंह, निदेशक व वरिष्ठ पर्यावरणविद, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज, लखनऊ विगत 15 वर्षों से पर्यावरण असंतुलन पर समाज में लोगों में चेतना जगाने का कार्य कर रहे है। इनके द्वारा लिखित ग्लोबल-वार्मिंग व क्लाइमेट चेन्ज पर तीन पुस्तकें भी क्रोशिया से प्रकाशित हो चुकी हैं जिसके सुझावों को अमेरिका, कनाडा, जर्मनी व फ्रान्स आदि में प्राथमिकता दी गयी है। इसे संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने वर्ष 2014 में हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया है। लखनऊ व प्रदेश के जनपदों में स्कूल ऑफ मैनेजमेण्ट साइंसेज ने अपने अध्यापकों के माध्यम से लगभग 80,000 छात्र/छात्राओं को पर्यावरण सुरक्षा हेतु जन-जागरण की पहल पिछले दो-वर्षों में की है।
एक किलोवाट से बनेगी पांच यूनिट बिजली
एक किलोवाट सोलर प्लांट से प्रतिदिन पांच यूनिट बिजली तैयार होती है।
भारत सरकार रूफटॉप सोलर पावर प्लांट के लिए 30 फीसदी सब्सिडी देती है।
स्वीकृत लोड से ज्यादा लोड का पावर प्लांट नहीं लगवा सकते। स्वीकृत अथवा उससे कम क्षमता का रूफटॉप सोलर प्लांट लगाया जा सकता है।
प्रति किलोवाट लगभग 80 हजार रुपये का खर्च आता है।
250 किलोवाट से अधिक क्षमता के प्लांट पर 72 से 75 हजार रुपये प्रति किलोवाट का खर्च आता है।
सोलर पैनल की वारंटी 25 वर्ष और सिस्टम की वारंटी पांच वर्ष की होती है।
ल्ल लगभग चार साल में लागत निकल आती है, फिर बिजली फ्री।
यह है सिस्टम
नेडा के जूनियर इंजीनियर सुभाष यादव बताते हैं कि ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप सोलर पावर प्लांट में छत पर लगे सोलर पैनल के माध्यम बिजली तैयार होती है। तैयार बिजली बाई डायरेक्शनल मीटर के जरियर यूपी पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड की ग्रिड लाइन में जाती है। मीटर में सौर ऊर्जा से तैयार बिजली व आपके द्वारा खर्च की गयी बिजली का लेखाजोखा रिकार्ड होता है। यदि प्रयोग में ज्यादा बिजली तैयार हो रही है तो उसका भुगतान आपको यूपीपीसीएल द्वारा कर दिया जाता है। इस प्रकार आप अपने लिए तो बिजली बनाते ही हैं, अतिरिक्त बिजली किसी और के घर को रोशन करने के काम आती है।
यहां से प्राप्त करें जानकारी
प्रत्येक जिले के विकास भवन में नेडा के परियोजना प्रबंधक का कार्यालय है। यहां से हर तरह की जानकारी व सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। राजधानी में किसी तरह की जानकारी चाहिए तो इस नंबर पर सम्पर्क करें-
9415609077- सुभाष यादव (जे.ई. नेडा)