ज्ञान भंडार
स्कूलों के जरिए आसाराम की छवि सुधारने का खेल, हो रही ये प्लानिंग
![](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2015/10/Chrysanthemum.jpg)
रायपुर. स्कूली बच्चों को अच्छे संस्कार देने के बहाने जेल में बंद आसाराम की छवि सुधारने की बड़ी साजिश नाकाम हो गई। आसाराम
समर्थकों ने अपना मकसद पूरा करने के लिए शिक्षा विभाग के दो साल पुराने आदेश पर दांव खेला। शिक्षा अधिकारियों ने भी उसी आदेश के आधार पर परीक्षा लेने की अनुमति दे दी। पूरा खेल शिक्षा विभाग को अंधेरे में रखकर किया जा रहा था। भास्कर ने इस साजिश का भांडा फोड़ा। उसके बाद भी शिक्षा विभाग प्लानिंग से की जा रही धोखाधड़ी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर रहा है। शनिवार को हालांकि शिक्षा संचालनालय से लेकर सचिवालाय तक इसी मामले को लेकर खलबली मची रही। सुबह से ही शिक्षा विभाग के तमाम अफसरों को मंत्रालय में तलब कर लिया गया था। देर शाम तक अफसरों की क्लास ली गई।
![Chrysanthemum](http://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2015/10/Chrysanthemum.jpg)
कैसे हो रही प्लानिंग
पिछले दो-तीन साल में स्कूलों में सामाजिक संस्थाओं की ओर से आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं के संबंध में जारी आदेशों का परीक्षण किया गया। एक-एक दस्तावेजों की छानबीन की गई। यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा था कि क्या कोई नया आदेश किसी स्तर पर जारी तो नहीं किया गया। जिन 10 जिलों में आदेश जारी किया गया है, उन सभी के जिला शिक्षा अधिकारियों से मुख्यालय के अफसरों ने खुद बात की। सभी से पूछा गया कि आखिर उन्होंने किस आधार पर प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करने के आदेश जारी किए। किसी तरह का दबाव तो नहीं डाला गया। सभी अफसरों ने यही कहा कि पुराने आदेश के आधार पर ही प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करने का निर्देश जारी किया।
पूरा विभाग कटघरे में
आसाराम के सत्संगों के आधार पर स्कूलों में प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करने के मामले में पूरा शिक्षा विभाग कटघरे में है। विभाग की ओर से दो साल पहले आसाराम की संस्था को बच्चों को अच्छे संस्कार देने के नाम पर प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी थी। उसके बाद आसाराम जेल में बंद हुआ। उसके बाद भी अफसरों ने पुराने आदेश को खारिज नहीं किया। अफसरों की इसी लापरवाही का फायदा उठाकर आसाराम समर्थकों ने इतनी बड़ी साजिश रच दी।
क्या लिखा है चिट्ठी में
आसाराम समर्थकों की ओर से दी गई चिट्ठी में लिखा है कि बच्चों में अच्छे संस्कार देने के लिए संत आसाराम बापू के दिव्य सत्संगों और प्रवचनों के आधार पर प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करना है। आसाराम के प्रवचनों के बारे में लिखा गया है कि इससे बच्चों में अपने माता-पिता के प्रति आदर और सम्मान की भावना पैदा होगी। बच्चे सद्गुगुणों को प्राप्त करेंगे।
आसाराम समर्थकों की ओर से दी गई चिट्ठी में लिखा है कि बच्चों में अच्छे संस्कार देने के लिए संत आसाराम बापू के दिव्य सत्संगों और प्रवचनों के आधार पर प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करना है। आसाराम के प्रवचनों के बारे में लिखा गया है कि इससे बच्चों में अपने माता-पिता के प्रति आदर और सम्मान की भावना पैदा होगी। बच्चे सद्गुगुणों को प्राप्त करेंगे।
करोड़ों कमाने का भी खेल
इस पूरी प्लानिंग में करोड़ों कमाने का भी प्लान था। प्रतियोगी परीक्षा का शुल्क 15-15 रुपए तय गया था। परीक्षा का आयोजन तीसरी से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए था। इस तरह लाखों बच्चों से न्यूनतम शुल्क के नाम पर पैसे वसूल कर करोड़ो कमाए।
कहीं अनुमित लेने शिष्य पहुंचे तो कहीं शिष्या
स्कूलों में प्रतियोगी परीक्षा की अनुमित लेने के लिए किसी जिले के शिक्षा अधिकारी से मिलने शिष्य पहुंचे तो कहीं शिष्या। भास्कर की पड़ताल में पता चला है कि कोंडागांव जिले में प्रतियोगी परीक्षा की अनुमित लेने के लिए शिष्या वहां के जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंची थी। रायपुर में दाे शिष्य आए थे। राजनांदगांव में भी दो शिष्य ही पहुंचे थे। इसी तरह बिलासपुर और बाकी जिलों में भी कहीं शिष्य तो कहीं शिष्या चिट्ठी लेकर पहुंची थी। उनके पास शिक्षा विभाग का आदेश था, जिसमें प्रतियोगी परीक्षा की अनुमित थी। उसी का हवाला देकर अनुमित मांगी गई।
स्कूलों में प्रतियोगी परीक्षा की अनुमित लेने के लिए किसी जिले के शिक्षा अधिकारी से मिलने शिष्य पहुंचे तो कहीं शिष्या। भास्कर की पड़ताल में पता चला है कि कोंडागांव जिले में प्रतियोगी परीक्षा की अनुमित लेने के लिए शिष्या वहां के जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंची थी। रायपुर में दाे शिष्य आए थे। राजनांदगांव में भी दो शिष्य ही पहुंचे थे। इसी तरह बिलासपुर और बाकी जिलों में भी कहीं शिष्य तो कहीं शिष्या चिट्ठी लेकर पहुंची थी। उनके पास शिक्षा विभाग का आदेश था, जिसमें प्रतियोगी परीक्षा की अनुमित थी। उसी का हवाला देकर अनुमित मांगी गई।