नई दिल्ली: सीबीआई ने स्टिंग जांच के सिलसिले में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को समन भेजा है। जानकारी के अनुसार, विधायकों की खरीद फरोख्त से संबंधित स्टिंग ऑपरेशन केस में सीबीआई ने हरीश रावत को समन भेजा है। सोमवार को इस मामले में रावत से पूछताछ की जाएगी। बता दें कि उत्तराखंड में सियासी ड्रामा के बीच एक स्टिंग ऑपरेशन का मामला सामने आया था, जिसमें रावत अपनी सरकार बचाने के लिए सौदेबाजी की बात कह रहे हैं। गौरतलब है कि उत्तराखंड में इन दिनों जबर्दस्त राजनैतिक संकट गहराया हुआ है और राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है।
वीडियो जारी किए जाने के बाद सीएम हरीश रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि अगर ये सही है तो साबित होता है कि बागी विधायक पैसे के लिए बीजेपी के साथ गए और फिर पैसे के लिए सरकार से बात कर रहे थे। हमारा मानना है कि सीडी झूठ है, जिसने स्टिंग किया है उनकी रेप्युटेशन हर कोई जानता है।
रावत ने कहा था, ‘मैं सीधा कहना चाहूंगा कि ये सीडी बिल्कुल झूठ है, बिल्कुल गलत है।’ हरीश ने उस न्यूज चैनल पर भी सवाल उठाए है, जिसने कथित रूप से यह स्टिंग करवाया है।
जब आया नया मोड़ रावत ने कबूला- स्टिंग की सीडी में मैं ही था
बागी विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त में खुद की संलिप्तता दिखाने वाली स्टिंग सीडी को अब तक ‘फर्जी और गलत’ बताने वाले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार को उसमें अपनी मौजूदगी को माना लेकिन कहा कि यह सब भाजपा के आपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा था और वह जेल जाने को तैयार हैं।
संवाददाताओं से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने आरोप लगाया कि स्टिंग सीडी प्रकरण और उसकी सीबीआई जांच भाजपा की उनकी सरकार गिराने की साजिश का एक हिस्सा थी और इस मामले में वह जेल जाने सहित उनका हर अत्याचार सहने को तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि एक अपराधिक षड्यंत्र के तहत सीडी प्रकरण व सीबीआई जांच को लेकर राजनीति की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपने दिलों दिमाग में मुझ पर जो भी जुल्म करने की सोच रहे हैं, मैं उसे भी सहने को तैयार हूं।’ इस संबंध में उन्होंने कहा कि अपने राज्य के विकास के लिए किए जाने वाले संघर्ष से वह पीछे नहीं हटेंगे और यदि भाजपा नेता उन्हे जेल भेजना चाहते है तो वह इसके लिये भी तैयार हैं।
इससे पहले, दिन में रावत ने स्टिंग सीडी में अपनी मौजूदगी को स्वीकार करते हुए कहा कि पत्रकार से मिलना कोई अपराध नहीं है। उन्होंने कहा, ‘क्या किसी पत्रकार से मिलना कोई अपराध है? क्या तब तक तकनीकी रूप से अयोग्य घोषित नहीं हुए विधायकों में से किसी ने भी मुझसे बातचीत की, इससे क्या फर्क पडता है? राजनीति में क्या किसी चैनल को हम बंद कर सकते हैं?’
इस संबंध में अपने निर्दोष होने का दावा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सीडी में से ऐसा कुछ भी प्रमाणित हो जाये कि उन्होंने असंतुष्ट विधायकों का समर्थन लेने के बदले में उन्हें नकद या किसी और प्रकार की पेशकश की तो वह जनता के सामने फांसी पर लटकने को तैयार हैं।
रावत ने कहा, ‘अगर मेरे खिलाफ ऐसा कोई प्रमाण मिलता है कि कि मैंने किसी को धन या किसी और चीज की पेशकश की तो मुझे घंटाघर पर लटका दीजिये। घंटाघर चौक देहरादून के बिल्कुल बीचोंबीच स्थित है।’ हालांकि, अपदस्थ मुख्यमंत्री रावत के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि उनके और स्टिंग सीडी बनाने वाले उस पत्रकार के बीच मुलाकात हुई थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि रावत अब तक सीडी की सत्यता को ही चुनौती देते रहे थे और उन्होंने उसे ‘फर्जी और गलत’ बताया था।
रावत ने कहा, ‘मेरे लिये कोई क्यों 15 करोड़ रुपये खर्च करेगा। वह व्यक्ति (पत्रकार) मेरा मन बहलाने के लिये कुछ अर्थहीन बातें कर रहा था और मैंने उसका मन बहलाने के लिये ऐसे ही कुछ कह दिया। इससे क्या फर्क पडता है? हम रोजाना इस प्रकार की बातें कहते रहते हैं। क्या इसका मतलब है कि उनका प्रयोग हमारे खिलाफ किया जाये?’ एक निजी चैनल के मुख्य संपादक द्वारा बनायी गयी और रावत के खिलाफ बागी हो गये नौ कांग्रेस विधायकों द्वारा प्रसारित की गयी स्टिंग सीडी में कथित रूप से रावत को बागी विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिये पत्रकार से सौदेबाजी करते दिखाया गया था।
गत 18 मार्च को नो कांग्रेस विधायकों के बागी हो जाने और राज्य विधानसभा में भाजपा के साथ खड़े हो जाने के बाद प्रदेश में सियासी संकट पैदा हो गया था जिसकी परिणिति 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन के रूप में हुई थी। रावत के प्रधानमंत्री और शाह पर लगाये गये आरोपों की बाबत प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि सत्ता से बेदखल होने से रावत का मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया है और इसी के कारण वह बेसिर पैर की बातें कर रहे हैं।