स्मृति ईरानी हो सकती हैं उत्तर प्रदेश में भाजपा का चेहरा
उत्तर प्रदेश में भाजपा गुटबाजी से ग्रस्त है। सभी बड़े पुराने नेताओं का अलग-अलग खेमा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पुराने नेताओं की क्षमताओं का इस्तेमाल तो करना चाहते हैं लेकिन किसी भी हालत में चुनावी रणनीति में गुटबाजी को हावी नहीं होने देना चाहते। इस रणनीति में भी स्मृति ईरानी का नाम फिट बैठता है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि रोहित वेमुला की आत्महत्या के मुद्दे पर राज्यसभा में ईरानी की दो बार मयावती से तीखी तकरार हुई थी। उससे यह संदेश भी गया कि उत्तर प्रदेश में मायावती के तेवर का उत्तर देने में ईरानी सक्षम हो सकती हैं। उधर कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर प्रियंका गांधी को कांग्रेस का चेहरा बनाने की वकालत कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो उस स्थिति में भी पार्टी की ओर से ईरानी बेहतर मुकाबला कर सकती हैं।
असम की सफलता में मतासचिव राम माधव का सहयोग करने वाले आईटी रणनीतिकार रजत सेठी ने कानपुर के ही हैं। रजत सेठी ने साफ कर दिया है कि वह प्रशांत किशोर की तरह वैसे प्रोफेशनल नहीं जो किसी भी पार्टी के लिए काम करता है। वह विचारधारा से भाजपा से जुड़े हैं। अमरीका से लौटने के बाद असम में काम किया और पार्टी को सफलता दिलाई। अब पार्टी उनका उपयोग उत्तर प्रदेश में कर सकती है।