स्वदेशी होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बुलेट ट्रेन, ‘मेक इन इंडिया’ के तहत कोच बनाने की तैयारी
नई दिल्ली : महत्वाकांक्षी परियोजना ‘बुलेट ट्रेन’ को लेकर काम तेजी से जारी है। यह प्रोजेक्ट 15 बिलियन डॉलर (करीब 1 लाख 5 हजार करोड़) का है जिसे 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़ी देश की सबसे बड़ी रेलवे कोच बनाने वाली कंपनी, BEML के चेयरमैन डीके होटा ने कहा कि हम चाहते हैं कि 6 बुलेट रैक (60 कोच) अपने देश में तैयार करें. इसके लिए जापानी कंपनी हिताची का सहयोग लिया जाएगा। हिताची और कावासाकी- जापान की ये दो कंपनियां जापान सरकार समर्थित अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना का मुख्य ठेका लेने के लिए बोली लगाएंगी। BEML के चेयरमैन ने इस मौके पर कहा कि हमने छह बुलेट रैक (60 कोच) को घरेलू स्तर पर बनाने के लिये अपना अनुरोध जमा कर दिया है। संयुक्त बैठक में हिताची ने संकेत दिया है कि, यदि परियोजना को 2023 तक पूरा करना है तो एक से ज्यादा रैक (दस डिब्बे) भारत में बनाना संभव नहीं हो पाएगा।
होटा ने कहा, घरेलू स्तर पर तैयार किये जाने के इस प्रक्रिया में हम ज्यादा काम जो कि देश के लिये फायदे का सौदा हो सकता है और बुलेट ट्रेन परियोजना में हमारे निवेश को व्यावहारिक बनायेगा। इस परियोजना का मूल्य 15 अरब डॉलर है, इसमें 24 रैक यानी 240 कोच शामिल है और यह मुंबई से अहमदाबाद के बीच दौड़ेगी। बीईएमएल डिब्बों के अंदर के काम का पूरा अनुबंध चाहती है। इसे तकनीकी भाषा में तृतीय स्तर का स्वदेशीकरण कहा जाता है। कंपनी के अधिकारी विनिर्माण के मामले में वस्तुस्थिति का जायजा लेने के लिए जापान में हिताची के कारखाने तक हो आए हैं। बीईएमएल मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत बुलेट ट्रेन के डिब्बों को देश में बनाने पर जोर दे रहा है। पिछले कुछ समय में बीईएमएल के रेलवे और मेट्रो के डिब्बे बनाने के कारोबार में काफी तेजी आई है। कंपनी हर साल रेलवे को लगभग 800 डिब्बे और मेट्रो को लगभग 300 डिब्बे सप्लाई कर रही है। कंपनी को मुम्बई मेट्रो कॉरिडोर के लिए 3015 करोड़ रुपये का एक ठेका भी मिला है। कंपनी मुम्बई मेट्रो के लिए 378 मेट्रो कार बनाएगी।