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नरम पड़ा चीन, कहा—जल्द सुलझा लेंगे मसूद अजहर का मामला

भारत ने चीन द्वारा वीटो लगाने पर नाराजगी जाहिर की थी, भारत ने कहा था कि वह इस मामले में अपना प्रयास जारी रखेगा।

नई दिल्ली : आतंकी मसूद अजहर पर भारत की तरफ से की जा रही घेराबंदी का असर दिख रहा है। रविवार को भारत में चीन के राजदूत ने कहा, ‘हम इस मामले का हल निकाल लेंगे।’ बता दें कि जहां भारत चीन पर इस मामले में दबाव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, वहीं फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन भी लगातार चीन से इस बारे में बातचीत कर रहे हैं। भारत में चीन के राजदूत लिओ झेंगहुई ने कहा, ‘हम इस मामले को सुलझा लेंगे। यह सिर्फ तकनीकी रोक है, जिसका मतलब है कि इस बारे में और विचार किया जाएगा। मेरा भरोसा रखिए, यह मामला सुलझ जाएगा।’ चीनी दूतावास में होली के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, ‘मसूद अजहर के मामले को हम पूरी तरह समझ रहे हैं और इसमें पूरा भरोसा है। हम इस मामले में भारत की चिंता भी समझते हैं। हमें पूरी तरह आशावान हैं कि यह मामला जल्द सुलझ जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘पिछले साल हुआ वुहान सम्मेलन सहयोग सही और तेज ट्रैक पर है। हम सहयोग से संतुष्ट हैं और भविष्य को लेकर आशावादी हैं।’ मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने को लेकर दबाव बनाए हुए है। वहीं अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने मसूद के पक्ष में चीन के वीटो के बाद अब खिलाफ सख्त रुख अपना लिया है। अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन अब भी इस मामले पर चीन के साथ चर्चा कर रहे हैं। यदि तीनों देशों के इस प्रयास के बावजूद भी अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित नहीं किया जाता है तो तीनों देश यूएन की सबसे शक्तिशाली शाखा (यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली) में इस मुद्दे पर खुली बहस के प्रस्ताव पर भी विचार कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन अब चीन के साथ गहन ‘सकारात्मक’ चर्चा कर रहे हैं, ताकि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति में वैश्विक आतंकवादी घोषित करने को लेकर कोई ‘समझौता’ किया जा सके। इस मामले के जानकार लोगों के अनुसार अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने संबंधी प्रस्ताव की भाषा को लेकर भी चीन से बातचीत कर रहे हैं। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने प्रस्ताव पेश कर आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग की थी। इस प्रस्ताव पर चीन के वीटो की वजह से फिर से अड़ंगा लग गया।

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