नई दिल्ली : स्वाइन फ्लू के बुधवार को 13 नए मामले सामने आए। यह इस साल एक दिन में आए सर्वाधिक मामले हैं। इसके साथ ही जनवरी के आधे महीने तक स्वाइन फ्लू के मामलों की संख्या 73 पहुंच गई है। इससे पहले सबसे ज्यादा 10 मामले मंगलवार को दर्ज किए गए थे। स्वास्थ्य सेवा निदेशालय (डीएचएस) की ओर से गठित समिति ने दावा किया कि स्वाइन फ्लू से मानी जा रही चार मौतों में महज एक मौत की एकमात्र वजह स्वाइन फ्लू है। स्वाइन फ्लू से हुई मौतों की समीक्षा के लिए डॉक्टर देवाशीष भट्टाचार्य की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था। हालांकि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण संस्थान के परीक्षण में उसमें स्वाइन फ्लू के वायरस की पुष्टि नहीं हुई। समिति के सदस्यों का कहना है कि स्वाइन फ्लू भी सामान्य वायरल संक्रमण की तरह है। स्वस्थ व्यक्ति इसके संक्रमण से डॉक्टर की निगरानी में आसानी से उबर सकता है। चिंता की बात तभी होती है जब मरीज किडनी, हृदय व सांस के अन्य गंभीर रोगों से भी पीड़ित हो।
डीएचएस समिति का यह भी दावा है कि स्वाइन फ्लू का मौजूदा वायरस 2009 के पैटर्न का ही है। इसलिए इस साल अब तक आए मामलों को आउटब्रेक नहीं माना जा सकता। पिछले साल आए महज 38 मामलों में भी 2009 जैसा ही वायरस था। डॉक्टर आर एम दास ने कहा कि वायरस में बड़े और नए बदलाव न आने के चलते खतरा बढम नहीं है। पहले की तुलना में कम हुए मामलों के आधार पर यह भी कहा जा सकता है कि पिछले छह सालों में समय के साथ एंटीबॉडीज तैयार होने के चलते लोगों में प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ी है। एजेंसी