हर इंजीनियरिंग कॉलेज में होते हैं ये 10 मस्ती भरे काम
एजेन्सी/ पिछले दो दशकों से इंजीनियरिंग करने की बहार आ गई है। हर युवा, कैरियर के विकल्प के तौर पर सबसे पहले इंजीनियरिंग को ही चुनता है, उसे लगता है कि इसमें सबसे ज्यादा वेतन मिलता है। युवा, जागरूक हैं और वो कई हद तक सही भी होते हैं। लेकिन इंजीनियर बनने से पहले हर बच्चे को काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं। जी-तोड़ मेहनत करने के साथ-साथ कॉलेज लाइफ को भी हैंडल करना होता है।
हर इंजीनियरिंग कॉलेज की कहानी एक सी ही होती है, फिर चाहें आप बंगलॉर के किसी कॉलेज में चले जाएं या दिल्ली के। सारे इंजीनियंरिग कॉलेज के बच्चे, चार साल के कोर्स में खूब धमाल करते हैं और अपनी लाइफ के हर शेड को देख लेते हैं। इस पूरे पीरियड में उनकी जिदंगी किसी रोलर कोस्टर से कम नहीं होती है। रोड़ ट्रिप से लेकर मिड नाइट मैगी तक की यादें, उनके जिदंगी के पन्नों पर अपनी छाप छोड़ देती हैं।
बोल्डस्काई के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि कौन-कौन सी वो बातें और मजेदार किस्से व काम होते हैं जो हर इंजीनियंरिग कॉलेज में किए जाते हैं तो आइए, हैव ए लुक –
1. मालूम नहीं और एक्जाम देने पहुँच गए
ऐसा हर झल्ले के साथ होता आया है कि उन्हें मालूम ही नहीं होता है कि आज किसी सब्जेक्ट का इंटरनल एक्जाम है, बस मुँह धोया और पहुँच गए।
2. कुछ नहीं सीखा –
सच्चाई तो ये है कि कॉलेज में कभी कोई कुछ नहीं सीखता। इंजीनियंरिंग कॉलेज के बच्चे, अपने हॉस्टल में ही सब करामात करते रहते हैं और वहीं सीखते हैं। बाकी का बचा हुआ वो नौकरी के दौरान सीखते हैं। कोर्स के दौरान सिर्फ किताबों को पढ़कर परीक्षा ही दे पाते हैं।
3. हर सवाल का जबाव –
हर इंजीनियर मानता है कि अगर सवाल है तो जबाव भी होगा, और लग जाते हैं उसकी खोज में। हर बच्चा, ऐसी बात को लेकर क्रेजी होता है। सभी स्टूडेंट, अपनी धुन में रहते हैं, कई बार तो लोगों को पागल सा लगने लगता है।
4. उत्तर बनाना –
जब प्लेसमेंट की बात आती है तो इंटरव्यू के दौरान सवाल का जबाव ढूंढने का समय नहीं होता और तब समझ में आता है कि पिछले 4 सालों में कुछ नहीं किया। उस टाइम दिमाग के सारे द्वार खोलकर सवाल को हल किया जाता है और उसके बाद कान पकड़कर हर चीज को सही से समझने की प्रतिज्ञा, मन ही मन ले ली जाती है।
5. मस्ती टाइम –
जिन्दगी में जितनी मस्ती, इंजीनियंरिंग की पढा़ई के दौरान होती है उतनी कभी नहीं हो सकती है। आलस्य भी सबसे ज्यादा इन्हीं दिनों में आता है। जब तक एसाइनमेंट की लास्ट डेट नहीं आ जाती है तब तक कोई भी वंदा, एसाइनमेंट करने नहीं बैठता है।
6. जीवन के प्रति कोई प्रांसगिकता नहीं –
इंजीनियरिंग कॉलेज के दिनों में दिमाग, खुला रहता है। हर बात अच्छी लगती है और मस्ती में ही सारा वक्त गुजर जाता है। गंभीरता या नौकरी की टेंशन भी तीसरे साल तक नहीं ही रहती है।
7. टेक फेस्ट –
टेक फेस्ट या कल्चरल फेस्ट, कोर्स के दौरान सबसे मस्ती भरे दिन होते हैं, इस दौरान सारे छात्र, खूब काम करते हैं और बिंदास होकर मजे भी करते हैं। डिग्री या क्लासेस से ज्यादा फेस्ट में सीखने को मिलता है।
8. खुद को सुपरहीरो समझना –
हर इंजीनियंरिंग छात्र, खुद को कम्प्यूटर का मास्टर और सुपरहीरो मानने लगता है।
9. रात 3 बजे मैगी का चस्का –
पढ़ते-पढ़ते रात को भूख लग आई तो क्या किया जाये। ऐसे में मैगी ही सबसे अच्छी साथी होती है। हर छात्र ने रात को मैगी जरूर बनाकर खाई होती है।
10. कट कॉपी पेस्ट –
किसी एक के लैपटॉप की मूवी, कट कॉपी पेस्ट से पूरे हॉस्टल और कैम्पस में पहुँच जाती है। ऐसे ही डेटा और एसाइनमेंट भी कॉपी कर लिए जाते हैं। बस फिर, क्या सबका काम बन जाता है। कई बार तो फैकल्टी इससे तंग भी हो जाती हैं।