हर महिला को पता होनी चाहिए साइबर सिक्योरिटी जुड़ी ये बात!
जहां एक तरफ इंटरनेट बहुत काम का साबित हो रहा है वहीं अगर जरा भी चूक हो जाए तो इसके नुकसान भी बहुतेरे हैं। आपकी प्राइवेसी खत्म हो सकती है और सुरक्षा में भी सेंध लग सकती है। ऑनलाइन हैरेसमेंट का शिकार भी हो सकती हैं।
गुमनाम बने रहने की खूबी ऑनलाइन पर असामाजिक तत्वों के लिए वरदान साबित हो रही है। वे सोशल नेटवर्किंग साइट्स को हाईजैक करते हैं क्योंकि उन्हें पहचाना नहीं जा सकता, और वे सोचते हैं कि ऐसा करके वे कुछ भी कर सकते हैं। शहर के एक प्रतिष्ठित गल्र्स कॉलेज में पढऩे वाली राशि (परिवर्तित नाम) ऑनलाइन हैरेसमेंट का शिकार हुई। राशि बताती हैं, कुछ दिनों से एक लड़का मुझे मैसेज भेज रहा था। शुरूआत में मैंने इग्नोर किया, यहां तक कि कई बार बुरा-भला कहकर डांट-फटकार भी दिया उसे। लेकिन उसने मैसेज भेजने नहीं छोड़े बल्कि अश्लील मैसेज भेजने शुरू कर दिए। तब मैंने उन मैसेज के स्क्रीन शॉट्स लेकर उसे अपने सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट कर दिए ताकि मेरे सारे दोस्त उन्हें देख सकें। मैंने सभी से रिक्वेस्ट की कि वे उन मैसेज को शेयर करें ताकि वह ज्यादा से ज्यादा वायरल हो सकें। जल्द ही वो पोस्ट वायरल हो गई। राशि को शानदार ऑनलाइन सपोर्ट मिला। कुछ लोगों ने उसे उस लड़के के खिलाफ केस दर्ज कराने को कहा। नतीजतन, उस लड़के ने खुद का बचाव करने के लिए एक पेज बनाया और लिखा कि उसका प्रोफाइल हैक हो गया है और कोई उसे बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।
वर्चुअल दुनिया की सोच
ये चीजें महिलाओं को ज्यादा चपेट में लेती जा रही हैं। यहां तक कि सेलिब्रिटीज भी इनकी गंदी मानसिकता का शिकार हुई हैं। ऐसा क्या है कि इस वर्चुअल दुनिया में भी पुरुष महिलाओं का शोषण करने से बाज नहीं आ रहे हैं? सोशल मीडिया से जुड़ी संजना कहती हैं, ऑनलाइन जगत लोगों को आजादी देता है साथ ही अपनी पहचान गोपनीय बनाए रखने की स्वतंत्रता भी। बस यही से सोशल मीडिया के दुरुपयोग का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे असामाजिक तत्वों को ये तो भरोसा होता ही है कि वे पहचाने नहीं जाएंगे, और वे मनमानी शुरू कर देते हैं। साइबर स्पेस बुलिंग के मामलों में पुरुषों के खिलाफ ही मामले दर्ज हुए हैं।
एक मशहूर साइकोलॉजिस्ट गौतम का कहना है कि महिलाओं के माइंडसेट में बड़े बदलाव नजर आ रहे हैं, बस इसी को लेकर पुरुषों में एक अजीब सी खलबली देखने में आ रही है, असामाजिक मानसिकता के शिकार पुरुष इन बदलावों को गलत अर्थों में ले रहे हैं। गौतम कहते हैं, महिलाओं को रोक पाना आसान नहीं है, वे इंडिपेंडेंट और सक्सेसफुल होना चाहती हैं। कुछ लोग उनकी इस सफलता से खुद को भयभीत महसूस करते हैं और उनसे बदला लेने के लिए उन्हें ऑनलाइन सबसे अच्छा साधन नजर आता है जहां वे फेक आईडी के जरिए खुद को उजागर ना करते हुए इन महिलाओं की छवि खराब करते हुए अपनी कारगुजारियों को अंजाम देते हैं।
सेलिब्रिटीज हुर्ईं हैं शिकार
ऑनलाइन दुनिया ने आम और खास के बीच के फर्क को खत्म कर दिया है। यहां कोई सेलिब्रिटी नहीं है। कभी-कभी तो सेलिब्रिटीज की स्थिति ज्यादा खराब नजर आती है। हाल ही में बेटियों के साथ सेल्फी विवाद के घेरे में आई टीवी एक्ट्रेस श्रुति सेठ के ट्वीटर पर गंदे और अश्लील कमेंट्स की बाढ़ सी आ गई थी। उन्हें वेश्या तक कहा गया। श्रुति का कसूर सिर्फ इतना ही था कि उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा बेटियों के साथ सेल्फी लेने के आग्रह किए जाने पर अपने मन की बात ट्वीटर पर कह डाली दी। इन बुलीज ने ना सिर्फ श्रुति को बल्कि उनके पति और महज 11 महीने की बेटी को भी अपना शिकार बनाया था।
तब इन धमकियों से परेशान होकर श्रुति ने समूचे देश के नाम एक खुला खत लिख डाला। बॉलीवुड एक्टर विशाखा सिंह भी कुछ इसी तरह की बुलिंग का शिकार हुई हैं।
मामला तब शुरू हुआ जब फिल्म फुकरे से पहचानी गई विशाखा ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपनी फोटो अपलोड की जिसमें उन्होंने एक स्लोगन लिखा टी-शर्ट पहना था। इस तस्वीर को ढेरों लाइक्स मिले लेकिन इनमें से एक लंपट किस्म के एक व्यक्ति ने उस तस्वीर पर एक भद्दा कमेंट लिखा। विशाखा ने चुप बैठने की बजाय उससे लडऩा तय किया और उसे उसकी करतूत पर शर्मिंदा करने की ठानी और लोगों ने उनका साथ दिया।
परिस्थितियों को टालें
ऐसे विवादास्पद मामलों में महिलाओं को शिकार बनाए जाने की घटनाओं को देखते हुए जरूरी है कि महिलाएं इन मामलों में विवादास्पद विषयों पर कमेंट्स ना ही करें। आईटी एक्सपर्ट मनीषा कहती हैं, कभी-कभी ऐसा होता है जब लोगों के विचारों में टकराव होता है, लेकिन इन विचारों को लेकर कुछ लोग अनावश्यक रूप से आक्रामक हो जाते हैं और शाब्दिक हिंसा पर उतर आते हैं। क्या लोग सोशल मीडिया पर अपने विचारों को शालीनता से नहीं रख सकते? इन कमेंट्स को ध्यान से देखें तो पाएंगे कि ये उन्हीं लोगों के होते हैं जिन्होंने पहचान उजागर नहीं की होती है। वे बस परदे के पीछे से दूसरों की चरित्र हत्या करते रहते हैं।
साइबर लॉ और साइबर सिक्योरिटी
एक्सपर्ट कहते हैं
एक्सपर्ट इसकी जड़ मौजूदा साइबर कानून को बताते हैं विशेषकर आईटी एक्ट,2000 के सेक्शन 66 (ए) को। जिसके तहत कम्प्यूटर, सेलफोन या टेबलेट के जरिए भद्दे शब्दों में मैसेज भेजने वाले व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान था। ऑनलाइन शोषण के मामले बढ़ जाने पर इस सेक्शन के साइड इफेक्ट्स देखते हुए इस साल इसे खत्म कर दिया गया और इसमें संशोधन करके आरोप साबित होने पर व्यक्ति को कम से कम तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है। आप महिला आयोग में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।