हाई एजुकेटड हैं ये साधु-संत, IIT-IIM में देते हैं लेक्चर
सिंहस्थ में आने वाले साधुओं को देखकर आपको लगता होगा कि ये साधु-संत हमेशा ही भक्ति में ही लीन रहेंगे होंगे तो ऐसा नहीं है। आपको बता दें कि शैव परंपरा के निरंजनी अखाड़े के करीबन 70 फीसदी साधु-संतों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है। इनमें से कुछ तो डॉक्टर, लॉ एक्सपर्ट, प्रोफेसर, संस्कृत के विद्वान और आचार्य भी शामिल हैं।इस अखाड़े के एक संत तो आईआईटी-आईआईएम में गेस्ट लेक्चरर भी हैं। इस अखाड़े की सबसे खास बात यह है कि इस अखाड़े के साधु-संत जितनी अच्छी संस्कृत बोलते हैं, उतनी ही अच्छी अंग्रेज़ी भी बोलते हैं।
15 जनवरी 2019 को पहले शाही स्नान के साथ कुंभ मेला शुरू हो जाएगा, जो 4 मार्च तक चलेगा। इस मेले में आने वाले साधु और अखाड़े खासे आकर्षण का केंद्र होते हैं। इनमें से एक है निरंजनी अखाड़ा, जिसमें करीब 70 फीसदी साधु-संत ने हायर एजुकेशन हासिल की है।
इन्होंने भगवा तो धारण कर लिए लेकिन अपने गुण को नहीं त्यागा। अब यह संत लोगों को धर्म की शिक्षा देने के साथ-साथ खुद भी अपनी आगे की पढ़ाई कर रहे हैं।
इस अखाड़े के एक संत स्वामी आनंदगिरि नेट क्वालिफाइड हैं। वह आईआईटी खड़गपुर, आईआईएम शिलांग, अहमदाबाद में गेस्ट लेक्चरर होने के साथ-साथ बनारस से पीएचडी भी कर रहे हैं। इसके साथ ही वह सिडनी, ऑक्सफोर्ड और केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में भी लेक्चर दे चुके हैं। अखाड़े के श्रीमहंत ने बताया कि उनका यह अखाड़ा इलाहाबाद और हरिद्वार में पांच स्कूल-कॉलेज चला रहा है। इनका मैनेजमेंट और व्यवस्थाएं भी अखाड़े के संत ही संभालते हैं और छात्रों को शिक्षा भी संत ही देते हैं।
अपनी किताब सनातन संस्कृति का महापर्व सिंहस्थ में सिद्धार्थ शंकर गौतम ने लिखा है कि निरंजनी अखाड़े की स्थापना वर्ष 904 में गुजरात के मांडवी में हुई थी, जबकि इतिहासकार जदुनाथ सरकार इसे वर्ष 1904 बताते हैं। सभी अखाड़ों में निरंजनी अखाड़ा सबसे फेमस है। इसमें सबसे ज्यादा क्वालिफाइड साधु-संत हैं। जटा रखते हैं। इसका इतिहास डूंगरपुर रियासत के राजगुरु मोहनानंद के समय से मिलता है।