उत्तर प्रदेशलखनऊ

हाशिम बोले, अहसान फरामोश है आजम

haअयोध्या। बाबरी मस्जिद के मुद्दई मोहम्मद हाशिम अंसारी की नजरों में सूबे के नगरीय विकास मंत्री आजम खां अहसान फरामोश हैं। उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने के चलते बिफरे हाशिम का कहना है कि आजम में गैरत नाम की कोई चीज नहीं। हाशिम की नाराजगी का ताजा कारण है उनसे चंद किलोमीटर के फासले पर ईद मिलन समारोह में आए आजम का उनसे मिले बगैर वापस लौट जाना। हाशिम की मानें तो बीते कई सालों से आजम उन्हें अनदेखा कर रहे हैं। आजम पर हाशिम अपना हक यूं ही नहीं जताते हैं। वे याद दिलाते हैं कि आजम के यासी रुतबे की बुनियाद उन्होंने ही तैयार की और वह भी उस बाबरी मस्जिद की सतह पर जिसकी दशकों से पैरवी वह खुद अकेले अपने बूते पर करते रहे हैं। हाशिम बताते हैं कि वह 90 के दशक का आखिरी दौर था। अदालती आदेश से मस्जिद का ताला खोल दिया गया था। राम मंदिर के लिए शिलापूजन, कारसेवा आदि के कार्यक्रमों से मुसलमान सकते में थे। उसे नेतृत्व की तलाश थी और इसके लिए मैंने आजम को आगे किया। इस उम्मीद में कि वे कौम के सच्चे रहनुमा साबित होंगे। हाशिम का कहना है कि इतना कुछ करने के बाद भी कुछ ही सालों में आजम ने इस उम्मीद को तोड़ दिया। उन्होंने सपा की सरकारों में सत्ता की बंदरबांट कर अपना उल्लू सीधा किया। आजम इस मुद्दे पर बात करने और कुछ कहने से भी कतराने लगे हैं। उन्‍होंने लोगों की भावनाओं को राजनीति के पाटों के बीच पीस दिया। हाशिम अंसारी को इस वक्त आजम खां और कौम की चिंता करने वाले रसूखदार लोगों की मदद की सख्त जरूरत है। समुचित इलाज के अभाव में वे बीते छह माह में पूरी तरह विकलांग हो चुके हैं। उनकी माली हालत भी चिंताजनक है। पुत्र-पौत्रों में से कोई ड्राइविंग करता है, तो किसी को पंचर जोड़ना पड़ता है।

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