अद्धयात्म

हिंदी सीखकर बोला अमरीकी विद्वान- ज्ञान व शांति की धरती है भारत

haridwar3-1446617098दस्तक टाइम्स/एजेंसी: हमारे धर्म-अध्यात्म और संस्कृति-इतिहास के प्रति दुनिया में आकर्षण ही नहीं, श्रद्धा-सम्मान भी है। इसी से प्रेरित होकर अमरीका का वर्जीनिया विश्वविद्यालय मेवाड़ अधिपति भगवान एकलिंगनाथ पर शोध कर रहा है। वहां से आया स्कॉलर सुखाड़िया विश्वविद्यालय के निर्देशन में यह शोध कर रहा है और इसके लिए उसने बाकायदा हिंदी बोलना सीखा है।

वर्जीनिया विश्वविद्यालय के फुल ब्राइट फैलोशिप स्कॉलर एडम न्यूमेन का कहना है कि भारतीय शैव परम्परा में अमरीका गहरी रुचि रखता है। इसी कारण वर्जीनिया के रिलीजियस स्टडी विभाग ने एकलिंगनाथ, मध्ययुगीन राजस्थान के इतिहास व संस्कृति पर विशेष शोध कार्य की योजना तैयार की है। इसके तहत वह कैलाशपुरी के उद्भव, विकास, पूजा पद्धति, धार्मिक परम्पराओं, अनुष्ठान आदि का विस्तार से अध्ययन करेंगे। सुखाड़िया विश्वविद्यालय के प्रो. नीरज शर्मा के निर्देशन में फिलहाल वह एकलिंग पुराण का अध्ययन कर रहे हैं।
न्यूमेन का कहना है कि भारतीय धर्म ग्रंथ, संस्कृति और परम्पराएं ज्ञान का अथाह भंडार हैं। भारतीय संस्कृति शाश्वत शांति व सत्य की वाहक है। आधुनिक परिप्रेक्ष्यों का भारतीय संस्कृति से तादात्म्य स्थापित कर चिर शांति के मार्ग सुझाए जा सकते हैं। पश्चिमी देश आध्यत्मिक ज्ञान के क्षेत्र में भारत से विशेष उम्मीद रखते हैं। अध्यात्म में भारत विश्व के मागदर्शन की पूरी क्षमता रखता है। 

इधर, सुखाड़िया विश्वविद्यालय ने भारतीय विद्या केन्द्र खोलने की योजना बनाई है। सरकार ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया तो यहां संस्कृत व प्राकृत विषयों के साथ भारतीय दर्शन, वैदिक दर्शन, योग, धर्म-ज्योतिष, कर्मकांड, पांडुलिपि विज्ञान से जुडे़ विषय पढ़ाए जाएंगे। इससे विश्वविद्यालय धर्म व दर्शन के क्षेत्र में नवाचार कर सकेगा। – रमाकांत कटारा –

 

 

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