108 फीट लंबी अगरबत्ती, 9 देशों का समय बताती घड़ी पहुंची अयोध्या
अयोध्या : अयोध्या धाम में तैयार हुए भगवान श्रीराम भव्य मंदिर में लगने के लिए जलेसर में बना 21 कुंतल का घंटा रवाना हो गया। दिन भर घंटे को देखने के लिए सड़कों पर लोग जूझते रहे। जलेसर, अवागढ, निधौली कलां होते हुए यह शोभायात्रा जब देरशाम एटा शहर पहुंची तो भीड़ इस ने भव्य स्वागत किया। जगह-जगह पुष्पवर्षा की गई। राम, हनुमान स्वरूप बनाई गई झांकियां साथ में चली। देररात्रि के यह क्रम चलता रहा।
देशभर में घुंघरू घंटी के लिए पहचान रखने वाला जलेसर वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) ने घंटा बनाकर देशभर में एक और पहचान बनाई है। सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल, प्रभारी मंत्री केपी सिंह मलिक, डीएम प्रेम रंजन सिंह, एसएसपी राजेश कुमार सिंह, विधायक संजीव दिवाकर, एमएलसी आशीष यादव आशू, घुंघरू घंटा कारोबारी आदित्य मित्तल, भाकियू भानू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने घंटे की पूजा कर अयोध्या के लिए रवाना किया।
प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में 108 फुट लंबी अगरबत्ती जलाई जाएगी, जो पूरे डेढ़ माह तक श्रीराम मंदिर को महकाएगी। सोशल मीडिया पर आजकल इसकी खूब चर्चा है। इसे गुजरात के वडोदरा निवासी गौपालक विहाभाई बरवाड़ ने बनाया है। बरवाड़ के मुताबिक इसे बनाने में 374 किलो गुगल, 374 किलो गोला, 280 किलो जौ, 191 किलो गाय घी,108 किलो परफ्यूम, 475 किलो हवन सामग्री, 572 किलो गुलाबफूल,1475 गाय गोबर लगा है। इसका वजन 3657 किलोग्राम है। लंबाई 108 फीट, चौड़ाई 3.5 फुट है। इसे तैयार करने में छह माह लगे और लागत 5.5 लाख आई है। बरवाड़ के मुताबिक अगरबत्ती जलाने के बाद लगातार 41 दिन जलती रहेगी। ज्योति की तरह जलाएंगे तो 10-15 दिन लगातार जलेगी। यह 13 जनवरी को अयोध्या पहुंचेगी।
नौ देशों का समय बताने वाली दीवार घड़ी भेंट की
हैनीमैन चौराहे के पास फुटपाथ पर लहसुन बेचने वाले अनिल साहू ने एक ऐसी घड़ी बनाई जो एक साथ नौ देशों का समय बताती है। इसमें एक ही सुई है> श्रीराम मंदिर में लगाने के लिए मंदिर ट्रस्ट को घड़ी भेंट की है। अयोध्या धाम स्टेशन पर भी लगेगी। अनिल लखनऊ के वास्तुखंड में रहते हैं। घड़ी बनाने का विचार कई साल पहले आया, जब मकान मालिक का हाल लेने उन्हें कॉल की। वह ओमान में थे और उन्होंने कहा कि इस वक्त वहां पर सोने का समय है। ऐसे में अनिल के मन में जिज्ञासा हुई दूसरे देशों का समय जानकर उनको एक साथ एक ही जगह प्रदर्शित करने की। घड़ी मशीन खरीद कर उन्होंने खुद उसकी डिजाइन बनाई।