1090 की हकीकत आई सामने
वर्ष 2012 में जब वीमेन पावर हेल्प लाइन यानि की 1090 की शुरूआत हुई तो लोगों ने सूबे में काबिज सपा सरकार के इस कदम की काफी सराहना की। दरअसल सराहना वाली बात भी थी क्योंकि महिलाओं को सशक्त बनाने का बहाना था। जी हां बहाना ही कहेंगे। वो इसलिए क्योंकि हकीकत का जामा तो यह योजना पहन ही नहीं पाई।
खामियां और सिर्फ खामियां उभर उभर कर उत्तर प्रदेश में योजनाओं की हकीकत, कथित उत्तम प्रदेश की वास्तविकता दर्शाने लगीं। कई दफे समाचार पत्रों ने 1090 के उस नकारेपन को भी छापा जो वास्तविक उद्देश्य से काफी दूर होने के कारण पैदा हुआ था। तो कई बार अर्द्धसत्य भी। कहने का आशय यह है कि महज एकपक्षीय होकर खबरों को 1090 की वकालत करते हुए प्रकाशित कर दिया गया। लेकिन पीड़िता ने पूरी तरह से खबर को गलत करार दे दिया।
1090 पर शिकायतें हुईं, कोई एक्शन नहीं हुआ और पीड़िता कुछ इस हद तक क्षुब्ध हो गई कि उसने मौत को गले लगा लिया। वन इंडिया ने इस पूरे मामले पर गंभीरता से पड़ताल की, और जो सामने आया वो मरते कानून, खत्म होते विश्वास की निशानी है।
1090 से की शिकायत पर नहीं हुई कोई सुनवाई
विकास नगर थाने के अंतर्गत आने वाले जानकीपुरम के निवासी राम प्रसाद की पुत्री ने 12 जनवरी को छेड़छाड़ से आजिज आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि मृतका ने इससे पहले शिकायत 1090 पर भी की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। यह आरोप है मृतका के पिता का। जिन्होंने बाकायदा पत्र लिखकर इस जानकारी को साझा किया है।
अब जरा ये देखिए कि मृतका किस हद तक परेशान हो चुकी थी, उस पर हो रहे उत्पीड़न से। लेकिन सहायता के लिए ही बनाई गई सेल ने ही उसकी परेशानी को गंभीरता से न लिया। सुसाइड नोट में उस लड़की ने क्या लिखा? ये सवाल आपके जहन में जरूर होगा। ये है उस लड़की के द्वारा लिखा गया आखिरी खत। जिसके बाद उसने दुनिया को अलविदा कह दिया।
1090 को जिस उद्देश्य के साथ शुरू हुआ वो उद्देश्य गफलत में फंसकर करीबन समाप्त हो चुका है। अब शिकायतें वीमेन पावर हेल्प लाइन पर देने से पहले, लोगों की शिकायत इस हेल्प लाइन के ही विरूद्ध हैं। नाम न खोलने की शर्त पर हमें ऐसे कई सबूत प्राप्त हुए जो पूरी योजना की हकीकत को जनता के सामने खोलकर रख रही है।
जब 1090 के रक्षक ही बन रहे भक्षक
जी हां इस साल के शुरूआती माह में ही इस खबर ने महिलाओं को ठगा सा महसूस कराया। दरअसल पूर्वांचल की रहने वाली एलएलबी की छात्रा को जब कहीं मदद नहीं मिली तो मदद की उम्मीद लेकर वह वीमन पावर लाइन पहुंची थी। छात्रा का आरोप है कि यहां उसे कोई मदद तो नहीं मिली, उल्टे 1090 के प्रभारी इंस्पेक्टर राघवेंद्र प्रताप सिंह ही उसके पीछे पड़ गए। शुरूआती जांच के दौरान राघवेंद्र सिंह पर लगे आरोप सही सिद्ध हुए।
सोशल मीडिया पर भी योजना की ”थू-थू”
जी हां ये हम नहीं कह रहे बल्कि सबूतों के साथ लोग अपनी भड़ास 1090 पर निकालते हुए सोशल मीडिया पर अलग अलग कमेंट कर अपना आक्रोश दर्शा रहे हैं। तो देखा आपने कि लोगों में कथित हेल्पलाइन के प्रति कितना विश्वास शेष रह गया है। और फिर भी इतनी सारी शिकायतों के बाद भी शासन चुप्पी साधे हुए है। साहब लोगों को उत्तर और उत्तम प्रदेश के बीच आई नई तब्दीली का भी पता चल चुका है। नीति का भी, नीयत का भी। कानून का भी, कर्तव्य का भी। बहरहाल बड़े बदलावों की जरूरत है। वरना अपराध होते रहेंगे और फाइलें बनेंगी और कुछ वक्त बाद अन्य दस्तावेजों के बीच दबकर न्याय की गुहार लगाती हुई आवाजें इस विश्वास के साथ चुप्पी साध लेंगी कि साहब सब मिले हुए हैं, गुहार लगाएं भी तो कहां। मतलब कि न्याय शून्य और अन्याय सबसे अव्वल स्तर पर।