अन्तर्राष्ट्रीय

इंडियन आर्मी के 120 जवान श्रीलंका रवाना, श्रीलंका के साथ ऑपरेशन ‘मित्र शक्ति’ का होगा आगाज

नई दिल्ली/कोलंबो: भारत और श्रीलंका एक बार फिर से आपसी संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिशों में लग गये हैं और इसी के तहत भारत-श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संयुक्त युद्धाभ्यास ‘मित्र शक्ति’ के 8वें संस्करण का आगाज किया जाने वाला है।

भारतीय रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच 4 अक्टूबर से से 15 अक्टूबर 2021 तक श्रीलंका के कॉम्बैट ट्रेनिंग स्कूल (अम्पारा) में युद्धाभ्यास आयोजित किया जाएगा। भारतीय सेना के 120 जवानों का एक शस्‍त्र सैन्‍य दल श्रीलंका की सेना की एक बटालियन के साथ युद्धाभ्‍यास में भाग लेगा। इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच घनिष्ठ संबंधों को प्रोत्‍साहित करना और अंतर-संचालन में बढ़ोतरी करने के साथ-साथ उग्रवाद एवं आतंकवाद विरोधी संचालनों में सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को साझा करना है। इस युद्धाभ्‍यास में अंतर्राष्ट्रीय उग्रवाद और आतंकवाद विरोधी माहौल में सब-यूनिट स्‍तर पर सामरिक स्‍तर के संचालन शामिल होंगे।

इस युद्धाभ्यास के जरिए भारत और श्रीलंका के सैनिक युद्धाभ्यास करेंगे और दोनों दक्षिण एशियाई देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक लंबा रास्ता की तरफ बढ़ा जाएगा। यह दोनों सेनाओं के बीच जमीनी स्‍तर पर समन्‍वय और सहयोग लाने के लिए उत्‍प्रेरक के रूप में भी कार्य करेगा। आपको बता दें कि, युद्धाभ्‍यास मित्र शक्ति का 7वां संस्करण वर्ष 2019 में विदेशी प्रशिक्षण नोड (एफटीएन), पुणे, महाराष्ट्र (भारत) में आयोजित किया गया था। आपको बता दें कि भारत ने पिछले कुछ महीनों में लगातार युद्धाभ्यास को काफी बढ़ा दिया है और भारत की सेना लगातार कई देशों के साथ युद्धाभ्यास कर रही है। (तस्वीर-2020)

भारत के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार ने देश की रक्षा नीति को लेकर अपने विचार में थोड़ा परिवर्तन किया है और अब इंडियन आर्मी काफी आक्रामक रूप को अख्तियार करने वाली है। इंडियन आर्मी, इंडियन नेवी और इंडियन एयरफोर्स अलग अलग देशों के साथ युद्धाभ्यास कर रही है, ताकि दोनों देशों के बीच परस्पर संबंधों को तो मजबूत किया ही जाए, साथ ही साथ युद्ध कौशल में भी विकास हो। विभिन्न देशों के साथ युद्धाभ्यास और मिलिट्री स्तर पर संबंध जुड़ने से दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली होती है, इसके साथ-साथ पारस्परिक निर्भरता को भी बल मिलता है।

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