सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खां ने सोमवार को एसआईटी मुख्यालय में करीब दो घंटे में दो चरणों में बयान दर्ज कराए। पहले चरण में बतौर विभागीय मंत्री दिए गए आदेशों पर स्पष्टीकरण और दूसरे चरण में जल निगम बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में लिए निर्णयों पर स्पष्टीकरण मांगा गया।आजम जल निगम में वर्ष 2016 के अंत में 1300 पदों पर हुई भर्ती में अनियमितता मामले में बयान दर्ज कराने आए थे। इस मामले में जांच अधिकारी इंस्पेक्टर अटल बिहारी, एएसपी अमृता मिश्रा और एसपी नागेश्वर सिंह ने उनके बयान लिए। आजम के अलावा नगर विकास विभाग में उनके सचिव रहे एसपी सिंह ने अपना बयान दर्ज कराया।
आजम ने अपने बयान में कहा है कि उनके ऊपर एक रुपये का आरोप आज तक नहीं लगा है। यह रिश्वत का मामला नहीं है बल्कि कागजों में हुई गड़बड़ी का है। भर्ती प्रक्रिया कैसे होती है, कब वैकेंसी निकलती है, कब परीक्षा होती है और कब रिजल्ट घोषित किए जाते हैं, यह सारा काम विभाग का है। इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा, जिन बच्चों को नौकरियां मिली वह डिग्रीधारी थे और उन्होंने क्वालिफाई किया था। किसी ठेले वाले को नौकरी नहीं दी गई। साथ ही कहा, उनके अधिकार में हो तो वह देश के हर डिग्रीधारक को नौकरी दे दें। इसके लिए कोई भी सजा भुगतने को तैयार रहता। उन्होंने कहा कि भाजपा ने इतनी कालिख तो लगा ही दी, जिसकी सफाई देने यहां आया हूं।
एसआईटी के सूत्रों का कहना है कि आजम खां ने ऐसी पत्रावलियों पर भी हस्ताक्षर किए थे, जिसका अधिकार उन्हें नहीं था। इस बारे में आजम ने कहा कि संभव है कि एमडी ने उनसे धोखे से ऐसी फाइलों पर हस्ताक्षर करा लिए हों, जिसका उन्हें पावर नहीं था।
अब तक 10 लोगों से हो चुकी है पूछताछ
एसआईटी इस मामले में आजम खां समेत 10 लोगों से पूछताछ कर चुकी है। इनमें जल निगम बोर्ड के एमडी पीके आशुदानी, आजम के ओएसडी रहे सैयद अफाक अहमद, नगर विकास विभाग के पूर्व सचिव एसपी सिंह शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि अभी और 10 लोगों से पूछताछ की जाएगी। इसके बाद ही शासन को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। जिनसे से पूछताछ होनी है, उसमें ऑनलाइन परीक्षा कराने वाली एजेंसी के मालिकों, परीक्षा बोर्ड और इंटरव्यू बोर्ड में शामिल लोग शामिल हो सकते हैं।
क्या है पूरा मामला
वर्ष 2016 में हुई जल निगम में 122 सहायक अभियंता, 853 अवर अभियंता, 335 नैतिक लिपिक और 32 आशुलिपिक की भर्ती हुई थी। इस मामले में कुछ विभागीय अधिकारियों ने अनियमितता की शिकायत की थी। इस पर योगी सरकार ने सभी 122 सहायक अभियंताओं को बर्खास्त कर दिया। साथ ही इसकी जांच एसआईटी को सौंप दी। जांच मिलते ही एसआईटी 22 सितंबर 2017 को जल निगम बोर्ड के मुख्यालय पर छापा मारकर तमाम दस्तावेज कब्जे में लिए थे। भर्ती के दौरान आजम खां इस विभाग के मंत्री व जलनिगम बोर्ड के चेयरमैन थे।
सरकार ने मेरा नाम चोरों की लिस्ट में ला दिया
सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खां सोमवार को एसआईटी के सामने पेश हुए। उन्होंने वर्ष 2016 में जल निगम में 1300 पदों पर हुई भर्तियों में गड़बड़ी मामले में बयान दर्ज कराया। इससे पहले आजम ने कहा कि सरकार ने मेरा नाम चोरों की लिस्ट में तो ला ही दिया है। मेरा जुर्म क्या है, इतना तो ये बताएंगे ही। उसी जुर्म में सफाई देने आया हूं। आजम के साथ उनके विभाग के पूर्व सचिव एसपी सिंह भी मौजूद थे।
एसआईटी के एसपी नागेश्वर सिंह ने बताया कि जल निगम में भर्ती में हुई अनियमितता की जांच एसआईटी को सौंपी गई है। इस मामले में अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। सिर्फ शिकायत आई है, इसकी प्रारंभिक जांच की जा रही है। इसमें आजम खां पर आरोप लगाए गए हैं कि उनके प्रभाव व दबाव में ये भर्तियां की गई हैं।
इसी मुद्दे पर आजम खां को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा गया था। एसपी ने बताया कि शिकायत में रिश्वत लेन-देन की बात नहीं कही गई है और न ही अब तक जिन लोगों के बयान लिए गए हैं, उसमें रिश्वत की बात सामने आई है।