अद्धयात्म
16 दिन चलने वाले श्राद्घ पक्ष में इस बार हो सकता है ये भ्रम, कैसे करें निवारण
आश्विन मास में 16 दिन चलने वाले महालय श्राद्ध मंगलवार से शुरू हो गए हैं। प्रतिदिन पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन कराया जाएगा और गंगा तट पर श्राद्ध तर्पण होंगे। श्राद्धों का समापन पितृ अमावस्या के दिन 20 सितंबर को होगा।
जिन पितरों का निधन पूर्णिमा के दिन हुआ उनका श्राद्ध मंगलवार को किया गया। पूर्णिमा तिथि दोपहर 12.38 बजे शुरू हुई। श्राद्ध पक्ष में पितरों को माध्याह्न काल में भोजन दिया जाता है। परिणाम स्वरूप पूर्णिमा का श्राद्ध मंगलवार को ही किया गया।
जिन पितरों का निधन पूर्णिमा के दिन हुआ उनका श्राद्ध मंगलवार को किया गया। पूर्णिमा तिथि दोपहर 12.38 बजे शुरू हुई। श्राद्ध पक्ष में पितरों को माध्याह्न काल में भोजन दिया जाता है। परिणाम स्वरूप पूर्णिमा का श्राद्ध मंगलवार को ही किया गया।
प्रतिपदा का श्राद्ध छह सितंबर को हुआ। यद्यपि उस दिन स्नान पूर्णिमा है। इसी प्रकार पंचमी तिथि का क्षय हो गया है। द्वादशी और त्रोयदशी तिथियां भी एक ही दिन पड़ेगी। 17 सितंबर को दोनों तिथियों का श्राद्ध एक साथ संपन्न होगा। पितृ विसर्जन 19 और 20 सितंबर दोनों दिन किया जा सकता है। दोनों ही दिन अमावस्या तिथि विद्यमान है। शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से शुरू होंगे।
ज्योतिषाचार्य डा. प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार कुछ पंचांगों में छह सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध बताया गया है। शास्त्री और ज्योतिष की दृष्टि से यह सर्वथा गलत है। पूर्णिमा का श्राद्ध मंगलवार पांच सितंबर को हुआ।
श्राद्ध पक्ष में दोपहर का समय लिया जाता है। पितृ पक्ष का समापन 20 सितंबर को करना चाहिए। इसी दिन नाना- नानी का श्राद्ध भी किया जा सकता । डा. मिश्रपुरी ने बताया कि इस बार तिथियों में विवाद है, फिर भी सभी 16 श्राद्ध पूरे होंगे।
श्राद्ध पक्ष का बड़ा महत्व है। श्राद्ध पक्ष में अनेक बाधाओं से पीड़ित लोगों का श्राद्ध भी किया जाता है। त्रिपिंडी श्राद्ध करने की भी परंपरा है।