कुरुक्षेत्र : गोताखोर प्रगट सिंह अब तक अपनी जिंदगी में नहर में डूब रहे करीब 1650 लोगों की जान बचा चुके हैं। इसके अलावा 11,801 लाशें नहर से निकाल चुके हैं। वहीं 12 खूंखार मगरमच्छों को भी नहर से निकालकर लोगों की रक्षा कर चुके हैं। इसके लिए 275 बार उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है। लेकिन, आज वही प्रगट सिंह जब जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं लेकिन प्रशासन को उनकी कोई फिक्र ही नहीं है। दरसअल, कुछ दिन पहले प्रगट सिंह अपनी पत्नी के साथ बाइक पर जा रहे थे। रास्ते में एक वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी, इसके बाद से ही वह अस्पताल में अपनी जिंदगी के लिए लड़ रहे हैं। बावजूद इसके अभी तक प्रशासन की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिली है। गौरतलब है कि हरियाणा में कुरुक्षेत्र के दबखेड़ी गांव में जन्म लेने वाले प्रगट सिंह अब तक भाखड़ा नहर से 11,801 लाशें, 1650 जिंदा लोगों और 12 खूंखार मगरमच्छों को निकाल चुके हैं। गोताखोर प्रगट सिंह पिछले कुछ दिन से हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। 275 बार सम्मानित करने वाले प्रशासन के अधिकारी अब तक उनका हाल भी जानने हॉस्पिटल नहीं पहुंचे हैं। सर्वजातीय सर्व खाप महापंचायत की महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संतोष दहिया ने अस्पताल में प्रगट सिंह का हाल-चाल पूछा। डॉ. दहिया ने कहा की मात्र 31 साल के प्रगट सिंह खेतों में भैंस चराने का काम करते हैं। उनके पास आजीविका का कोई दूसरा साधन नहीं है। उनकी तीन बेटियां हैं। इसके बावजूद वह अपनी जान पर खेलकर लोगों की जिंदगी बचाने की कोशिश करते रहते हैं। केवल प्रशस्ति पत्रों से उनके परिवार का लालन पालन नहीं हो सकता। सरकार को चाहिए कि ऐसे निस्वार्थ समाजसेवी के लिए एक कदम आगे बढ़कर उन्हें रोजगार मुहैया कराए, ताकि परिवार की कम से कम आर्थिक मदद हो पाए। प्रगट सिंह ने अपनी बड़ी बेटियों को तैराकी में पारंगत किया है। छोटी बेटी गुरशरण कौर को तैराकी सिखा रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने आज तक किसी से कोई भी पैसा नहीं लिया है। निस्वार्थ भाव लोगों की सेवा कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें कई बार जिला प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया गया है। प्रगट सिंह ने कई बार जान पर खेलकर ग्रामीणों और मवेशियों के लिए खतरा बने मगरमच्छों को पकड़ा है। नहर के किनारे से लगभग 12 मगरमच्छों को पकड़ कर वे भौर सैदां स्थित मगरमच्छ प्रजनन केंद्र में पहुंचा चुके हैं। कई वर्ष पहले जब नरवाना ब्रांच टूट गई थी, तब सेना के साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हुए प्रगट सिंह ने नहर को ठीक किया था।