18 साल से खड़े हैं ये बाबा, कर चुके हैं एक से बढ़कर एक करिश्मे
एजेन्सी/ एमपी के उज्जैन में 22 अप्रैल से सिंहस्थ का आयोजन होने जा रहा है. इस महाकुंभ का हिस्सा बनने के लिए देशभर के साधु-संत महाकाल की नगरी पहुंच गए हैं. इन साधुओं में से एक खड़ेश्वर बाबा भी हैं जो 1998 से न बैठे हैं और न ही लेटे हैं. यहां तक कि वो अपनी नींद भी खड़े रहकर ही पूरी करते हैं.
ऐसे हुई हठ योग की शुरूआत
बिहार के बेगुसराय में जन्मे जूना अखाड़ा के साधु कृष्णानंदपुरी का बचपन से ही आध्यातम की ओर झुकाव था. जिसके चलते उन्होंने हठयोग को अपनाते हुए 1990 से हमेशा खड़े रहने की साधना शुरू कर दी.
पहले वो एक सप्ताह तक ही खड़े रह पाते थे, फिर धीरे-धीरे अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करते हुए वो समय की अवधि बढ़ाते गए. जब उन्होंने खुद को मजबूत कर लिया तब 1998 से उन्होंने पूरी तरह से बैठना या लेटना बंद कर दिया.
खड़े होकर ही सोते हैं
पिछले 18 साल से चले आ रहे अपने इस हठयोग का पालन करते हुए ये खड़ेश्वर बाबा सोते भी खड़े होकर ही हैं. दिक्कत होने पर वो झूले का सहारा लेते हैं जो पास में बंधा होता है जिस पर शरीर का भार डालकर वो नींद पूरी कर लेते हैं.
नींद लेने के साथ ही खड़ेश्वर बाबा अपनी नित्य क्रियाएं भी खड़े रहकर ही करते हैं. यात्रा के दौरान भी वो खड़े ही रहते हैं. चाहे सफर कितना ही लंबा हो वो बस या ट्रेन में हमेशा खड़े रहकर ही सफर करते हैं.
पैरों में हुए घाव लेकिन योग जारी
पिछले 18 साल से खड़े रहने के कारण खड़ेश्वर बाबा के पैरों में घाव हो गए हैं और हमेशा सूजन भी बनी रहती है, लेकिन फिर भी उनका अपने इस हठयोग को छोड़ने का कोई इरादा नहीं है. बाबा के मुताबिक ये निर्णय उनके लिए साधना है जिसे वो हमेशा जारी रखेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें कितने ही शारीरिक कष्ट क्यों न उठाने पड़े.