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2जी मामले में सुनवाई में अड़ंगा नहीं- सीबीआई

CBI_1नई दिल्ली। सीबीआई ने एक स्वयंसेवी संस्था के इस आरोप का खंडन किया है कि वह 2जी मामलों की सुनवाई में अड़ंगा लगा रही है। एजेंसी ने कहा कि उसने यह सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ किया है कि सुनवाई आसानी से आगे बढ़े। सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के 12 अगस्त के निर्देशों पर तत्परता से अमल करते हुए एजेंसी ने जाने-माने वकील केके वेणुगोपाल को सभी संबंधित दस्तावेज और रिकार्ड सौंप दिए हैं जो इस मामले पर जिरह कर रहे हैं। इसमें सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा द्वारा सौंपा गया सुझाव भी शामिल है जिनमें उन्होंने कहा है कि उन्होंने कानून एवं न्याय मंत्रालय का सुझाव रिकार्ड पर नहीं लिया जिसने दावा किया था कि रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। सूत्रों ने कहा कि सीबीआई निदेशक का विचार रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड द्वारा अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज किए जाने मांग को लेकर दायर याचिका के जवाब में पेश किया गया था। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई निदेशक ने स्वतरू कार्रवाई नहीं की थी ल्कि उससे इस मामले में अपनी राय देने के लिए कहा गया था और उसने मामले के पूरे रिकार्ड के आधार पर उसने अपनी राय दी। ये दस्तावेज वेणुगोपाल को सौंपे गए और वह इन्हें सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन द्वारा दायर जनहित याचिका के मामले में 2 सितंबर को उच्चतम न्यायालय में पेश करेंगे। सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन उन याचिकाकर्ताओं में शामिल रहा है जिनकी याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने 2 फरवरी 2012 को 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंस रद्द किए। सूत्रों ने कहा कि निदेशक की राय इसके बाद सीबीआई के वकील यू यू ललित के पास भेज दी गई थी जो बाद में उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति बने। गैर-सरकारी संगठन की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने दावा किया कि सीबीआई के निदेशक इस तर्क के आधार पर पूरी जांच फिर से शुरू कराने की कोशिश कर रहे हैं कि यह आरोप-पत्र गलत आधार पर तैयार किया गया था। भूषण ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम संबंधी इस मामले में आरोप-पत्र इस आधार पर दायर किया गया है कि आरटीएल में 2जी लाइसेंस प्राप्त करने की अनिवार्यताएं पूरी नहीं करती थी इसलिए उसने मुखौटा कंपनी के तौर पर स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड बनाई ताकि एकीकृत-पथ दूरसंचार सेवा लाइसेंस के दिशानिर्देश के प्रावधानों से बचते हुए स्पेक्ट्रम हासिल किया जा सके। भूषण ने कहा कि हालांकि अब निदेशक का मानना है कि लाइसेंस दिए जाने के दिन रिलायंस टेलीकॉम ने स्वान टेलीकॉम का स्वामित्व छोड़ दिया था। उच्चतम न्यायालय को सीबीआई द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम प्राप्त करने केलिए टाटा समूह और यूनिटेक के बीच कथित साठगांठ के आरोपों की जांच के बारे में जानकारी दी जा सकती है। पिछली सुनवाई में भूषण में आरोप लगाया था कि उप महानिरीक्षक संतोष रस्तोगी को जांच से हटा लिया गया था हालांकि सीबीआई ने इस आरोप से इनकार किया है। सीबीआई ने वेणुगोपाल को स्पष्ट किया कि इस आरोप के जरिए उच्चतम न्यायालय को गुमराह किया जा रहा है क्योंकि 1998 के महाराष्ट्र केडर के अधिकारी रस्तोगी कभी जांच दल के सदस्य ही नहीं रहे और उन्होंने स्वयं चार महीने पहले अन्य विभाग में स्थानांतरण की इच्छा जताई थी।

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