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नई दिल्ली : भारतीय धनकुबेरों की सम्पत्ति में पिछले साल रोजाना दो हजार 200 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। साल 2018 में 1 फीसदी धनकुबेर 39 फीसदी अधिक अमीर हुए, जबकि वित्तीय रूप से कमजोर लोगों की संपत्ति में महज तीन फीसदी का इजाफा हुआ। ऑक्सफेम द्वारा सोमवार को जारी एक अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है। वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की सालाना पांच दिवसीय बैठक से पहले जारी सालाना अध्ययन के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर साल 2018 में धनकुबेरों की संपत्ति में रोजाना 12 फीसदी या 2.5 अरब डॉलर का इजाफा हुआ, जबकि दुनिया के सबसे गरीब तबके के लोगों की संपत्ति में 11 फीसदी की गिरावट आई। ऑक्सफेम ने कहा कि 13.6 करोड़ भारतीय साल 2004 से ही कर्ज में डूबे हैं। 13.6 करोड़ की यह आबादी देश की सबसे गरीब आबादी का 10 फीसदी है। ऑक्सफेम ने कहा कि अमीरी-गरीबी के बीच यह बढ़ती खाई गरीबी के खिलाफ लड़ाई को कमजोर, अर्थव्यवस्था को बर्बाद और दुनियाभर में लोगों का गुस्सा बढ़ा रही है।
ऑक्सफेम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानयिमा ने कहा, नैतिक रूप से यह बेहद अपमानजनक है कि मुट्ठीभर अमीर लोग भारत की संपत्ति में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाते जा रहे हैं, जबकि गरीब दो जून की रोटी और बच्चों की दवा तक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। शीर्ष एक फीसदी और बाकी भारत के बीच यह असमानता बरकरार रही, तो इससे इस देश की सामाजिक और लोकतांत्रिक संरचना पूरी तरह बिगड़ जाएगी। ऑक्सफेम ने बताया कि संपत्तियां कुछ ही लोगों तक सिमटती जा रही हैं। 26 लोगों के पास उतनी संपत्ति है, जितनी दुनिया के 3.8 अरब लोगों के पास है और ये दुनिया की आधी सबसे गरीब जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत की 10 फीसदी आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का 77.4 फीसदी हिस्सा है। जबकि एक फीसदी लोगों के पास देश की कुल सम्पत्ति का 51.53 फीसदी हिस्सा है।