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2019 में मोदी को क्या कोई दे पाएगा चुनौती ?

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब भाजपा जीतकर आई थीं  तब उसने ‘अच्छे दिन’ लाने के लिए पाँच साल माँगे थे, चार साल तो गुजर चुके और सरकार के पास ऐसी कोई ‘चमत्कारिक उपलब्धि’ नहीं है, जिसे वह पेश कर सके. अगर कुछ है तो, नोटबंदी और जीएसटी से परेशान हुई जनता का आक्रोश है. जिस पर महंगाई ने अपना काला रंग चढ़ाकर और गहरा कर दिया है.2019 में मोदी को क्या कोई दे पाएगा चुनौती ?

फिर भी मोदी को लेकर देश में दो दल बने हुए हैं, एक तो हो गए मोदी को कोसने वाले और दूसरे वो जो पिछले 10 सालों से मूक प्रधानमंत्री को देखते-देखते थक चुके थे और ऐसे में उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी जोशीले दिखे और उसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक, अबू धाबी में मंदिर का ऐलान और कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों  का भारत आना, साथ ही मोदी जी विदेशी दौरे पर जाना भी कुछ लोगों को पसंद आया है, खैर इससे एक बात ये तो रही कि, दुनिया के तमाम देशों को पता चल गया कि, भारत भी यहीं है और सिर्फ सुनेगा ही नहीं बोलेगा भी.

हालांकि देखा जाए तो मोदी को जितने लोग भला बुरा कह रहे हैं, उससे ज्यादा लोग उनकी तरफ भी हैं. लेकिन इस बार अच्छे दिन वाला मुद्दा चलने वाला नहीं है, इस बार मोदीजी को अगर 2019 चुनाव में भाजपा की सरकार बनाना है तो उन्हें कोई नया शगूफा छोड़ना पड़ेगा. एक फायदा तो मोदी को, उनके खिलाफ कोई टक्कर का उम्मीदवार न होने से ही मिल जायेगा. फिर भी हाल में हुए त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के चुनावों को देखते हुए तो यही लगता है कि, जनता भाजपा पर भरोसा करती है.  

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