कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के कल्याण में खर्च होंगे 25 करोड़, सुप्रीम कोर्ट ने जमा कराए थे ये रुपये
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पांच साल पहले के एक मामले में महाराष्ट्र सरकार से शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में 20 करोड़ रुपये की राशि जमा कराई थी। ब्याज के चलते बढ़कर अब वह राशि 25 करोड़ रुपये हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस राशि का इस्तेमाल महाराष्ट्र में कोरोना के दौरान अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों के कल्याण के लिए वितरित किए जाने का समर्थन किया है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और बी वी नागरत्ना की पीठ ने इस सप्ताह के शुरू में उल्लेख किया कि महाराष्ट्र में लगभग 19,000 बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता में से एक की मौत कोरोना की वजह से हुई है। 593 बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता दोनों की मौत इस महामारी की वजह से हो गई। इस साल महामारी की दूसरी लहर से सर्वाधिक प्रभावित रहे राज्यों में से एक महाराष्ट्र ने मेडिकल कालेज प्रवेश से संबंधित एक पुराने मामले में शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में ये रुपये जमा किए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि महाराष्ट्र सरकार ने 17 जून, 2021 को एक नीति तैयार की थी, जिसमें महामारी की वजह से अपने माता-पिता दोनों को खो चुके बच्चों के लिए पांच-पांच लाख रुपये की राशि फिक्स्ड डिपोजिट करने की बात कही गई है, जो बच्चों को बालिग होने पर मिलेगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि राशि महाराष्ट्र सरकार को जारी करने का निर्देश दिए जाने से पहले वह एक शपथपत्र के जरिये ठोस बयान चाहती है।
वहीं, दूसरी ओर केंद्र सरकार कोरोना के कारण माता-पिता को खोने वाले बच्चों के मासिक वजीफे को 2,000 से बढ़ाकर 4,000 रुपये करने की योजना बना रही है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले दिनों कहा था कि इस संबंध में एक प्रस्ताव अगले कुछ हफ्तों में मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजा जा सकता है।