राष्ट्रीय

25 आतंकवादियों से अकेले ही भिड़ गए थे मेजर मोहित 


नई दिल्ली : 13 जनवरी 1978 को जन्मे शहीद मेजर मोहित शर्मा का रविवार को जन्म दिन है। वो मेजर मोहित जो अपने साथियों की जान बचाने के लिए अकेले ही खूंखार आतंकवादियों से भिड़ गए थे। बेशक वो युद्ध का मैदान नहीं था, लेकिन जानकारों की मानें तो कश्मीर में हफरूदा के जंगल किसी युद्ध के मैदान से कम भी नहीं हैं। इसी जंगल में मेजर मोहित शर्मा ने अपने दो साथियों की जान बचाते हुए अकेले ही करीब 25 आतंकवादियों से लोहा लिया था। गोली लगने के बाद भी मरते-मरते एक ग्रेनेड फेंककर चार आतंकवादियों को मौत की नींद सुला दिया था। अशोक चक्र विजेता मेजर मोहित के ऐसे ही हैरतअंगेज कारनामों के बारे में जानते है उनके पिता और मां आरपी शर्मा और सुशीला शर्मा से। हम चाहते थे कि मोहित इंजीनियर बने, उसने इंजीनियरिंग में दाखिला लेने के लिए इंट्रेंस भी दिया और सलेक्ट भी हो गया। एडमिशन लेने के बाद भी उसकी ख्वाहिश थी कि व मिलिट्री ज्वाइन करे। ट्राइ किया तो एनडीए में भी सलेक्शन हो गया, इसके बाद सभी को मोहित की बात माननी पड़ी। फैमिली की रजामंदी मिलने के बाद उसने मिलिट्री ज्वाइन कर ली। 2009 में वह कैप्टन से मेजर बन चुका था। अपनी टीम के साथ वह कश्मीर के कुपवाड़ा में था, उसे बताया गया था कि कश्मीर के हफरूदा जंगल में आतंकवादियों ने कैंप बना रखा है। यह जानकर भी कि वहां जाना खतरे से खाली नहीं है, मेजर ने अपनी टीम के साथ जंगल में कैंप लगाया, उन्हें जंगल में आतंकी कैंप की सूचना मिली थी। ये 21 मार्च 2009 की घटना है। मेजर के साथ टीम में कुल 10 लोग थे, उन्हें आतंकियों के शिविर की सूचना मिली। आतंकियों को मारने के लिए ऑपरेशन चला, मिलिट्री ने आतंकियों के कैंप पर हमला कर दिया। दोनों तरफ से क्रास फायरिंग में मेजर को भी गोली लग गई। मेजर मोहित के दो साथी भी गोली लगने से जख्मी हो गए। मेजर ने खुद की जान की परवाह न करते हुए दोनों जख्मी जवानों को बचाया और ग्रेनेड से हमला कर चार आतंकवादियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन में मेजर मोहित शर्मा समेत दस में से आठ जवान शहीद हुए थे, मेजर को शहादत के बाद अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।

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