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27 साल से नोएड़ा से खौफ खाता रहा यूपी का हर CM, जानिए क्या है वजह

800x480_image60389298नोएड़ा:- यूपी में 27 साल से इतिहास रहा है कि अब तक प्रदेश में जितने भी मुख्यमंत्री रहे हैं, वो नोएडा से दूरी बनाकर रहे हैं। हालांकि, इसके पीछे क्या कारण है इसका आज तक पता नहीं चल सका है। कुछ जानकार लोग कहते हैं कि जो भी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हैं तो उनमें ये डर घर कर जाता है कि अगर वो नोएडा आएंगे तो, उनका सबकुछ खो जाएगा। अब इसे आप अंधविश्वास कहें या फिर स्वाभाविक डर। लेकिन यही हाल मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का भी है। इसी को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर नोएडा न जाने का फैसला लिया है। 30 नवंबर को बाबा रामदेव के फूड पार्क का शिलान्यास वे लखनऊ में ही करेंगे।

सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि देश के कई इलाकों के बाशिन्दों को अपनी ओर खींचने वाला नोएडा खौफ का दूसरा नाम बन गया है। सभी के लिए नहीं बल्कि यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए। कुछ भी हो जाए, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नोएडा नहीं आना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने बड़े से बड़ा कार्यक्रम तक छोड़ दिया है।

राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री की भी नहीं की अगवानी

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी तीन बार नोएडा आए, लेकिन प्रोटोकॉल की मजबूरी को भी नजरअंदाज कर अखिलेश यादव एक बार भी नोएडा नहीं गए। अखिलेश यादव के घर शादी समारोह में पहुंचने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो दौरे नोएडा में हुए, फिर भी अखिलेश यादव ने कलेजे पर पत्थर रख लिया लेकिन और नोएडा नहीं गए। इन सबके पीछे वजह है एक टोटका, जिसे सीएम अखिलेश य़ादव नजरअंदाज नहीं करना चाहते। टोटका ये है कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री तुरंत ही सत्ता गंवा देते हैं।

1988 से शुरू हुआ सिलसिला

1988 में वीरबहादुर सिंह के समय पड़ा था टोटके का यह बीज। वीरबहादुर सिंह ने नोएडा से लौटते ही सीएम की कुर्सी गंवा दी थी।

इन्होंने भी खोई सत्ता

1989 में नोएडा जाने वाले एनडी तिवारी भी सत्ता से बाहर

1995,1999 में कल्याण सिंह पर भी भारी पड़ा नोएडा दौरा

मुलायम ने भी नोएडा दौरे के बाद सीएम पद की कुर्सी गवाई

2011 में मायावती पर भी नोएडा दौरा पड़ा था भारी

1985 में बनी वीर बहादुर सिंह की सरकार तीन सालों में ही सत्ता से बाहर हो गयी। उसके बाद से ही मुख्यमंत्रियों के दौरे और नोएडा के बीच संबंधों का आकलन किया जाने लगा। हैरान करने वाली बात तो ये है कि तथ्य भी इसका समर्थन करते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि टोटका भ्रम और अंधविश्वास का दूसरा नाम है और सच्चाई से परे है, लेकिन जब बात मुख्यमंत्री जैसे पद की हो उसे लेकर भला कौन रिस्क ले सकता है। अखिलेश यादव की भी यही कहानी है। बड़े से बड़ा कार्यक्रम उन्होंने छोड़ दिया लेकिन, नोएडा नहीं गए।

सीएम अखिलेश इन मौके पर भी नहीं गए नोएडा

सीएम अखिलेश हर मौके पर नोएडा जाने से बचते रहे है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक के कार्यक्रम में वे नहीं पहुंचे। 31 दिसंबर 2015 और 5 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री का प्रोग्राम था। लेकिन प्रोटोकॉल के बावजूद वे नहीं गए। वे सितंबर 2014 में आयोजित वर्ल्ड डेंटल कांग्रेस में भी नहीं गए। जनवरी 2016 में शिवनादर यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में भी नहीं गए। इतना ही नहीं उन्होंने यमुना एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण भी लखनऊ से किया था। सीएम राष्ट्रपति के 3 कार्यक्रमों में भी नहीं पहुंचे थे नोएडा। सभी कार्यक्रमों में यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्रियों को भेजा गया।

अखिलेश यादव ने एक बार फिर नोएडा न जाने का फैसला लिया है। जिस काम को नोएडा में किया जाना चाहिए उसे वे लखनऊ में करेंगे। राज्य सरकार ने यमुना एक्सप्रेस वे पर बाबा रामदेव को चार सौ एकड़ जमीन दी है जिसमें वे फूड पार्क बनायेंगे। इसका शिलान्यास तीस नवम्बर को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव करेंगे लेकिन, नोएडा में नहीं बल्कि लखनऊ में।

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