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29 लड़कियों से दुष्कर्म की आशंका, शव के लिये जमीन खोद रही पुलिस


पटना : बिहार पुलिस के अनुसार मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में रह रहीं 29 लड़कियों के साथ रेप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ ने अपनी एक रिपोर्ट में बालिका गृहों में रह रही लड़कियों के यौन शोषण का मुद्दा उठाया था। मामला सुर्ख़ियों में आने के बाद शुरू हुई पुलिस जांच में नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। मुजफ्फरपुर का बालिका गृह इस जांच का केंद्र बन गया है, यहां के साहू रोड स्थित एक मकान में खुदाई चल रही है। पूरा इलाक़ा पुलिस छावनी में तब्दील है, पुलिस को आशंका है कि वहां एक बच्ची का शव दबा हो सकता है।

सेवा संकल्प नाम की स्वयंसेवी संस्था इसी मकान में सरकारी बालिका गृह का संचालन करती थी। पुलिस के अनुसार इस गृह में रहने वाली एक लड़की ने पूछताछ में अपने साथ रहने वाली एक लड़की को मारकर दबाए जाने की आशंका जाहिर की थी, जिसके बाद यहां खुदाई की जा रही है। सोमवार को तकरीबन 7 फीट की खुदाई के बाद वहां कुछ नहीं मिला। जैसे-जैसे खुदाई होती जा रही थी, आस पड़ोस में रहने वालों का गुस्सा बढ़ रहा था, लोग सवाल कर रहे थे, कोई लाश को अपने घर में क्यों दफनाएगा, उसे डर नहीं लगेगा क्या? बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के संरक्षण में चल रहा यह बालिका गृह बीते दो माह से सुर्खियों में है। बीते साल टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल सांइसेज ने बिहार के ऐसे होम्स का सोशल आडिट किया था, जिसमें यौन शोषण की बात सामने आई थी। बीते 28 मई को मुजफ्फरपुर नगर थाना में इस बाबत समाज कल्याण विभाग के निर्देश पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। मुजफ्फरपुर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरप्रीत कौर ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट में 29 लड़कियों के साथ दुष्कर्म की संभावना से इंकार नहीं किया गया है।

वहीं इस मामले में बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित 10 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिसमें 7 महिलाएं हैं। इन पर पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है, इसमें से एक महिला पर भी एक बच्ची ने यौन शोषण का आरोप है। इस मामले में जिला बाल समिति के अध्यक्ष दिनेश वर्मा फरार हैं।बालिका गृह में रहने वाली कुल 44 लड़कियों में से 34 लड़कियों का मेडिकल परीक्षण कराया गया था। सरकार के संरक्षण में चल रहे बालिका गृहों में 6 से 18 आयु वर्ग की वैसी बालिकाएं रहती हैं, जो अनाथ, भूली भटकी, मानसिक रूप से विक्षिप्त या किसी अन्य कारण से परिवार से अलग हो गई हों। मुजफ्फरपुर बालिका गृह की सभी 44 लड़कियों को पटना, मोकामा और मधुबनी के केन्द्रों में भेजा गया है, जिन लड़कियों के साथ रेप की आशंका पुलिस ने जाहिर की है, उनके बारे में अधिक जानकारी साझा नहीं की गई है। अभियुक्तों में ज्यादा संख्या महिलाओं की है, ऐसे में ये सवाल अहम है कि आखिर दुष्कर्म हुआ तो उसमें कौन लोग शामिल थे। वहीँ स्थानीय पत्रकार संतोष सिंह ने कहा कि दुष्कर्म करने वाले लोग कौन थे, पुलिस इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं दे रही है। पुलिस सिर्फ़ बच्चियों के बयान के आधार पर जांच कर रही है जबकि अगर वो जांच का दायरा बढ़ाये तो मामला साफ होगा और कई सफेदपोश बेनकाब होंगे। हालांकि इस सवाल पर हरप्रीत कौर कहती हैं कि सबूत जिसके खिलाफ होगा कार्रवाई की जाएगी फिर चाहे वो कितना भी बड़ा व्यक्ति हो।

उधर, मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर की बेटी नीति का कहना है कि उनके पिता को फंसाया जा रहा है। बीते 5 साल से इस बालिका गृह में चाइल्ड वेलफेयर समिति, जज, आयोग के मेम्बर लगातार आ रहे हैं, किसी को कुछ क्यों नहीं दिखा? मेरे पिताजी को फंसाया जा रहा है। मुख्य अभियुक्त और बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर का परिवार साल 1982 से ही प्रात: कमल नाम का एक हिन्दी दैनिक भी प्रकाशित कर रहा है, उनके पिता राधा मोहन ठाकुर ने ये अखबार शुरू किया था। स्थानीय पत्रकारों पर इस परिवार का प्रभाव नज़र आता है और वह इस मामले पर खुलकर बात करने से बच रहे थे। इस बालिका गृह से 2013 से 2018 के बीच 6 बच्चियों के गायब होने और मधुबनी भेजी गई एक बच्ची के गायब होने की भी खबर है, जिसकी पुलिस जांच चल रही है। मुजफ्फरपुर के अलावा मोतिहारी बाल गृह और कैमूर अल्पावास गृह में भी यौन शोषण और मानवाधिकार उल्लंघन के मामले सामने आने के बाद सरकार ने शिकायतें दर्ज कराई है। मुजफ्फरपुर बालिका गृह का मामला सामने आने के बाद छपरा और हाजीपुर अल्पावास गृह से भी यौन शौषण के शिकायतें आई हैं। बालिका गृहों के हालात पर राजनीति भी गर्म हो गई है।

सांसद पप्पू यादव ने इस मामले को लोकसभा में उठाया है। बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बयान जारी करके कहा है कि दुष्कर्म का मुख्य आरोपी सत्ता के रसूखदारों का बहुत करीबी है, वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का करीबी है। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मामले में पहले ही कह चुके हैं कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और सिस्टम को पुख़्ता किया जाएगा ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो। पटना हाईकोर्ट में इस मामले में दो जनहित याचिकाएं भी दायर की गई हैं।याचिका दायर करने वाली अलका वर्मा कहती हैं, पूरे मामले की सीबीआई जांच और शेल्टर होम्स के लिए सरकार निगरानी टीम बनाए ताकि वक्त-वक्त पर इन होम्स की जांच की जा सके। बिहार के तमाम महिला संगठनों ने भी बिहार के सभी शेल्टर होम की न्यायिक जांच की मांग की है। बिहार के लिए ये सवाल बहुत महत्वपूर्ण है खास तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए, जिनका एक बड़ा वोट बैंक महिलाएं हैं।

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