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3 साल की बेटी ने दी अपने शहीद पिता को मुखाग्नि

शिमला. छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में शहीद सुरेंद्र ठाकुर का सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. मंडी का नेरचौक लोगो की भीड़ से छोटा पड़ गया. वहां मौजूद लोगो की आँखे तब डबडबा गई तब शहीद सुरेंद्र की महज तीन वर्षीय बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी. सीआरपीएफ के जवानो और हिमाचल पुलिस के जवानो ने हवा में गोलियां दाग कर अपने शस्त्र उल्टे कर दिए.

शमशान घाट में तब हर कोई भावनाविभोर हो गया जब शहीद सुरेंद्र ठाकुर की तीन वर्षीय बेटी ने अपने पिता की अर्थी पर चढ़ रहे फूलो को देख कर कहा कि मुझे भी ये फूल चाहिए. यह सुनते ही हर किसी की आँख भर आई, तीन वर्षीय इस बच्ची को यह भी जानकारी नहीं थी कि पिता की अर्थी पर चढ़ रहे है फूलो की क्या परिभाषा है.

शहीद सुरेंद्र के पार्थिव देह को रायपुर से हेलीकाप्टर के जरिए सुंदरनगर लाया गया. सुंदरनगर से उनके पार्थिव देह को गाड़ी से वाया रोड मंगलवार दोपहर बाद उनके घर नेरचौक पहुंचाया गया. शहीद सुरेंद्र की पत्नी और माता को उनकी शाहदत के बारे में जानकारी नहीं दी गई थी, उन्हें बताया गया था कि सुरेंद्र कुमार घायल है.

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