
हल्द्वानी: खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह वर्ष खास रहने वाला है। इसी 31 जनवरी को पूर्णिमा के दिन चंद्रमा नारंगी रंग का दिखेगा। खगोलीय भाषा में इसे ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। इस दिन चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है। जबकि, दुनिया के अन्य देशों में चांद हल्का नीला नजर आएगा। इसलिए इसे ‘ब्ल्यू मून’ कहा जा रहा है। सुपर मून की श्रेणी में शामिल इस दिन का चंद्रमा सामान्य दिनों की तुलना में 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकदार होगा। इसके बाद वर्षभर सुपर मून नहीं बनेगा।
35 वर्ष बाद ऐसा होने जा रहा है, जब पूर्ण चंद्र ग्रहण और ब्ल्यू मून एक साथ नजर आएंगे। इससे पहले 30 दिसंबर 1982 को ग्रहण के साथ चंद्रमा का रंग भी बदला था। भारत व अन्य स्थानों पर जहां चंद्र ग्रहण होगा, वहां यह रस्टी ऑरेंज मून की तरह दिखेगा। इस तरह दुनिया में ब्ल्यू मून और हमारे यहां यह ब्लड मून की तरह दिखेगा। वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक पूर्ण चंद्र ग्रहण 77 मिनट तक रहेगा। इस दौरान चंद्रमा का निचला हिस्सा ज्यादा चमकीला दिखेगा। इसके बाद ब्ल्यू मून वर्ष 2028 और उसके बाद वर्ष 2037 में दिखेगा।
धरती के बेहद करीब होगा मंगल
भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बेंगलुरु के पूर्व वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक प्रो. आरसी कपूर के मुताबिक इस साल 27 जुलाई को रेड प्लेनेट मार्स (मंगल) वर्ष 2003 के बाद पृथ्वी के सबसे करीब होगा। इस दौरान मार्स एट अपोजिशन की घटना होगी। यानी जब पश्चिम में सूर्य डूब रहा होगा, तब पूर्व में पूर्णिमा के चंद्र के साथ मंगल उदय हो रहा होगा। इस दौरान बृहस्पति को भी उसी आकाश में देखा जा सकेगा।
साल की अन्य खगोलीय घटनाएं
- 15 फरवरी : आंशिक सूर्य ग्रहण
- 9 मई : ज्यूपिटर एट अपोजिशन
- 27 जून : सेटर्न एट अपोजिशन
- 13 जुलाई : आंशिक सूर्य ग्रहण
- 11 अगस्त : आंशिक सूर्य ग्रहण
अगस्त में उल्का बौछार
अगर बरसात बाधा न बनी तो 12-13 अगस्त की मध्य रात्रि को परसीड मेट्योर शावर में प्रति मिनट 60 उल्का बौछार हो सकती है। इसी तरह से 13-14 दिसंबर की मध्य रात्रि को प्रति मिनट 120 जेमिनिड मेट्योर शावर का आनंद लिया जा सकेगा।
दो धूमकेतु की भी रहेगी धूम
दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में दो धूमकेतु देखे जा सकेंगे। लेकिन, इन्हें देखने के लिए टेलिस्कोप की मदद लेनी होगी। प्रो. आरसी कपूर बताते हैं कि 2018 में पृथ्वी से आकाश में बहुत-कुछ रोचक देखने को मिलेगा।