36 राफेल विमानों के सौदे और तकनीकी में कोई कमी नहीं : सर्वोच्च न्यायालय
नई दिल्ली : चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई ने इस दौरान कहा, देश को जेट विमानों की जरूरत है और वह उनके बगैर नहीं रह सकता। पर जेट विमानों की कीमत पर फैसला लेना कोर्ट का का काम नहीं है। डील के हर पक्ष में हमारा दखल देना ठीक नहीं बात नहीं है। जेट के दामों की तुलना करना कोर्ट का काम नहीं है। राफेल डील विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार (14 दिसंबर) को इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें कोर्ट की निगरानी में इस डील की जांच कराने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान जजों ने कहा कि उन्हें 36 विमानों के सौदे और विमानों की तकनीकी में कोई कमी नहीं नजर आती है। यूं केंद्र सरकार के फैसले पर सवालिया निशान लगाना ठीक बात नहीं है। गौरतलब है कि ये याचिकाएं जेट विमानों की डील में अनियमितताओं को लेकर दाखिल की गई थीं।
कोर्ट की तरफ से कहा गया, हम डील की प्रक्रिया से संतुष्ट हैं। हमें इस डील में ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं नजर आई, जिससे जाहिर होता है कि किसी कंपनी या काराबोरी का पक्ष लिया गया हो। कोर्ट ने इसी के साथ साफ किया वह इस मामले में दखल की जरूरत नहीं समझता है। वहीं, प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है- याचिकाकर्ताओं को डील में विमानों की कीमत के बारे में नहीं बताया गया। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस बीते कुछ समय से राफेल को बड़ा मुद्दा बनाते हुए मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा चुकी है। कांग्रेस का दावा था कि मोदी सरकार ने दोगुने दामों पर फ्रांस से 36 जेट विमानों का सौदा किया। कांग्रेस ने इसी के साथ कहा है कि इस मसले की जांच-पड़ताल के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेसीसी) का गठन होना चाहिए।