43 मजदूरों को वापस भेजा गया घर, पकड़े गए दो ठेकेदारों को भेजा जेल
रायपुर। राजधानी के स्टेशन में पलायन करने जमा हुए सैंकड़ों मजदूरों में से रायपुर जिला प्रशासन के अधिकरी सिर्फ 43 को रोक पाए। कार्रवाई होते देख ज्यादातर मजदूर सारनाथ और नवतनवा एक्सप्रेस से उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हो गए। देर रात को श्रम विभाग और जीआरपी की संयुक्त जांच में प्लेटफार्म नंबर 5 पर पवन अग्रवाल और धर्मा नायक नामक दो ठेकेदार पकड़े गए। दोनों को गुरुवार दोपहर को एसडीएम के सामने पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया।
लायसेंस नहीं होने पर की गई कार्रवाई
जीआरपी की पूछताछ में कुछ मजदूरों ने बताया कि उन्हें सांकरा, पिथौरा के ठेकेदार पवन अग्रवाल और सरायपाली के धर्मा नायक उत्तर प्रदेश में काम दिलाने ले जा रहे हैं। पवन अग्रवाल का संपर्क सीधे ईंटभट्ठों के मालिकों से है। उन्होंने बताया कि धर्मा गांव-गांव जाकर मजदूरों को इकट्ठा करता है। नंदू नामक बड़े ठेकेदार के जरिए मजदूरों को पवन बाहर भेजता है। श्रम अधिकारियों को पवन और धर्मा स्टेशन में संदिग्ध हालत में मजदूरों के पास चक्कर लगाते मिले।
जीआरपी ने पकड़ कर इनसे पूछताछ की तो पवन ने प्रारंभ में अपना नाम गलत बताया, कड़ी पूछताछ और तलाशी के दौरान उसकी जेब से मिले आधार कार्ड से उसकी पहचान हुई। उसके पास कुछ लेबरों की सूची भी मिली। जांच में पता चला कि पवन और धर्मा बिना लायसेंस के सैंकड़ों मजदूरों को कमीशन बेस पर यहां से उत्तर प्रदेश ले जा रहे थे। इसी आधार पर दोनों को गिरफ्तार किया गया।
इस धारा के अंतर्गत कार्रवाई
श्रम विभाग के सहायक आयुक्त यूके कच्छप ने बताया कि 5 से अधिक मजदूरों को एक से दूसरी जगह ले जाने के लिए ठेकेदार को श्रम विभाग में पंजीयन कराना होता है। दोनों ही ठेकेदारों ने पंजीयन नहीं कराया है। इन पर अंतरराज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम की धारा 7 के तहत कार्रवाई की गई। जीआरपी ने धारा 151 के तहत इन पर अपराध कायम किया। लेबर कोर्ट पृथक सजा सुनाई जाएगी।
रात में बुलाए गए बलौदाबाजार-महासमुंद के श्रम अधिकारी
जांच के दौरान ज्यादातर मजदूर महासमुंद और बलौदाबाजार जिले के मिले। रात ढाई बजे इन जिलों के श्रम अधिकारियों को बुलावाया गया। महासमुंद के 30 और बलौदाबाजार के 13 मजदूरों को बस से वापस गृह ग्राम भेजा गया।