हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले शुभ-अशुभ मुहूर्त के बारे में विचार किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार, कुछ नक्षत्रों में शुभ कार्य करना बहुत ही अच्छा माना जाता है,वहीं कुछ नक्षत्रों में कोई विशेष कार्य करने की मनाही रहती है। धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती भी ऐसे ही नक्षत्रों का एक समूह है। धनिष्ठा के प्रारंभ होने से लेकर रेवती नक्षत्र के अंत समय को पंचक कहते हैं।इस बार 1 अगस्त, शनिवार को रात 09.07 से पंचक शुरू होगा, जो 5 अगस्त, बुधवार को रात 01.57 तक रहेगा। शनिवार को शुरू होने के कारण इस पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाएगा। भारतीय ज्योतिष में पंचक को अशुभ समय माना गया है। इसलिए इस दौरान कुछ कार्य विशेष करने की मनाही है, जैसे- घर की छत व खाट बनवाने, ईंधन इकट्ठा करने, दक्षिण दिशा में यात्रा करने आदि। विद्वानों के अनुसार पंचक 5 प्रकार का होता है-रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है।राज पंचक -सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। ये पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है अग्नि पंचक-मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। ये अशुभ होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है।
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