नई दिल्ली : उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने बिजली चोरी के मामले को बंद करने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि अगर आरोपित सामाजिक सेवा के तहत 50 पौध लगाए तो उसका मुकदमा बंद कर दिया जाएगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बार फिर जागरूक करने के साथ ही पर्यावरण के प्रति जनता को जिम्मेदारी का अहसास कराने का प्रयास किया है। दरअसल, न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने बिजली चोरी के मामले को बंद करने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि अगर आरोपित सामाजिक सेवा के तहत 50 पौध लगाए तो उसका मुकदमा बंद कर दिया जाएगा। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने आरोपी को वन विभाग के उपसंरक्षक (पश्चिम) की निगरानी में सेंट्रल रिज रिजर्व वन, बुद्ध जयंती पार्क, वंदेमातरम मार्ग में पेड़ लगाने का आदेश दिया।
न्यायालय ने कहा है कि पौधे की लंबाई कम से कम छह फीट और आयु साढ़े तीन साल होनी चाहिए। न्यायालय ने मिट्टी के प्रकार और भौगोलिक स्थिति के आधार पर उप वनसंरक्षक को पौधों के किस्मों का चयन करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने आरोपी और वन विभाग के उप संरक्षक को आदेश का पालन करने के बारे में हलफनामा दाखिल करने और पेड़ लगाने से पहले व बाद की तस्वीरें पेश करने को कहा है। न्यायालय ने बिजली चोरी के मामले में मुकदमा चलाने के लिए आरोप तय करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर यह आदेश दिया है। बिजली विभाग ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी व्यक्ति बिजली की चोरी करता हुआ पाया गया। बिजली की एक तार उसकी दुकान के बाहर लगे सरकारी खंभे से सीधे जुड़ी हुई पाई गई थी। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा आरोप तय करने के आदेश को रद्द करते हुए उसे आरोपमुक्त कर दिया।