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पुरानी व्यवस्था के अनुसार, यदि कोई सैन्यकर्मी सेवा के दौरान 100 फीसदी विकलांग हो जाता है तो उसे अंतिम वेतन के बराबर विकलांगता पेंशन मिलती है। इसके अलावा वह अंतिम वेतन के 50 फीसदी के बराबर सामान्य पेंशन का भी हकदार होता है। लेकिन सातवें वेतन आयोग ने इस व्यवस्था में बदलाव कर दिया। इसके लिए तीन स्लैब बना दिए गए। इनमें 100 फीसदी विकलांगता होने पर अफसरों (रैंक 10 से ऊपर) के लिए 27 हजार, सूबेदार मेजर तक (रैंक 6 से 9) के लिए 17 हजार रुपये प्रतिमाह और उससे नीचे के पांच रैंकों के लिए 12 हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया गया।
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इससे सेवा के दौरान विकलांग होने वाले सैन्य कर्मियों को नुकसान था। मसलन, पांच साल की सेवा के बाद एक सैनिक का वेतन करीब 28-29 हजार के बीच बनता है। सौ फीसदी विकलांग होने पर वह प्रतिमाह इतनी ही पेंशन का हकदार बनता है। लेकिन नए नियम के अनुसार उसे सिर्फ 12 हजार रुपये प्रतिमाह की विकलांगता पेंशन मिलेगी। इसी प्रकार युद्ध में सौ फीसदी विकलांग होने वाले कर्नल का वेतन यदि 80 हजार है तो नए नियम के हिसाब से उसे सिर्फ 27 हजार विकलांगता पेंशन मिलेगी। जबकि पहले यह 80 हजार बनती थी।