करिअर
6 बेटियों ने क्रैक किया UPSC और बन गईं आईएएस, दे रहीं हैं टिप्स, बड़े काम के हो सकते हैं

देश की छह बेटियों ने यूपीएससी क्रैक करके इतिहास रच दिया और आईएएस अफसर बन गईं। एक इंटरव्यू के दौरान सभी ने सफलता का मूलमंत्र बताया, टिप्स लेने के लिए क्लिक करें।
4 साल की मेहनत से पाई 246वीं रैंक
पंजाब के गिद्दड़बाहा में रहने वाली नुपुर गोयल की ऑल इंडिया रैंक 246वीं है। उनके पिता होलसेल करियाने की दुकान चलाते हैं। नुपुर ने बताया कि यूपीएससी की तैयारी किसी मामले में आसान नहीं कही जा सकती। पिछले 4 सालों से वह तैयारी में जुटी रहीं। रोजाना 7 से 8 घंटे की पढ़ाई की, तब जाकर 246वीं रैंक हासिल हुई। एक लक्ष्य तय करने की जरूरत होती है और फिर ईमानदारी के साथ उसे पाने के लिए प्रयास करने चाहिएं, सफलता अवश्य ही मिलती है।

पंजाब के गिद्दड़बाहा में रहने वाली नुपुर गोयल की ऑल इंडिया रैंक 246वीं है। उनके पिता होलसेल करियाने की दुकान चलाते हैं। नुपुर ने बताया कि यूपीएससी की तैयारी किसी मामले में आसान नहीं कही जा सकती। पिछले 4 सालों से वह तैयारी में जुटी रहीं। रोजाना 7 से 8 घंटे की पढ़ाई की, तब जाकर 246वीं रैंक हासिल हुई। एक लक्ष्य तय करने की जरूरत होती है और फिर ईमानदारी के साथ उसे पाने के लिए प्रयास करने चाहिएं, सफलता अवश्य ही मिलती है।
बैंक मैनेजर की बेटी को मिली 505वीं रैंक
पंजाब नेशनल बैंक के सीनियर मैनेजर की बेटी ईशमीत कौर की ऑल इंडिया रैंक 505 है। मोहाली में रहने वालीं ईशमीत फिलहाल ईपीएफओ में बतौर अकाउंट ऑफिसर कार्यरत हैं। उन्होंने यूआईईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद यूपीएसई की परीक्षा में बैठने का फैसला लिया। काम के साथ-साथ पढ़ाई मुश्किल थी, लेकिन फिर भी किसी तरह से मैनेज किया। टॉपिक्स बनाकर तैयारी की, सेल्फ स्टडी की और नतीजा आज सभी के सामने है।
पंजाब नेशनल बैंक के सीनियर मैनेजर की बेटी ईशमीत कौर की ऑल इंडिया रैंक 505 है। मोहाली में रहने वालीं ईशमीत फिलहाल ईपीएफओ में बतौर अकाउंट ऑफिसर कार्यरत हैं। उन्होंने यूआईईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद यूपीएसई की परीक्षा में बैठने का फैसला लिया। काम के साथ-साथ पढ़ाई मुश्किल थी, लेकिन फिर भी किसी तरह से मैनेज किया। टॉपिक्स बनाकर तैयारी की, सेल्फ स्टडी की और नतीजा आज सभी के सामने है।
रेलवे अफसर अमृतपाल ने हासिल की 44वीं रैंक
पंजाब के गुरदासपुर निवासी बिजली विभाग से सेवानिवृत्त एसडीओ जोगिंदर सिंह की बेटी अमृतपाल कौर ने चौथे प्रयास में 44वीं रैंक हासिल की। वह रेलवे में अधिकारी हैं, लेकिन अवकाश लेकर वह तैयारी कर रही थीं। राजनीतिक विज्ञान व इंटरनेशनल रिलेशन उनके पसंदीदा विषय रहे हैं। वह कहती हैं कि पेक में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान कोचिंग अनिल नरुला से ली थी, उसके बाद सेल्फ स्टडी ने सफलता दिलाई। परिवार का पूरा साथ मिला। ऑनलाइन पेपर भी दिल्ली के एक केंद्र के जरिये दे रही थीं।
पंजाब के गुरदासपुर निवासी बिजली विभाग से सेवानिवृत्त एसडीओ जोगिंदर सिंह की बेटी अमृतपाल कौर ने चौथे प्रयास में 44वीं रैंक हासिल की। वह रेलवे में अधिकारी हैं, लेकिन अवकाश लेकर वह तैयारी कर रही थीं। राजनीतिक विज्ञान व इंटरनेशनल रिलेशन उनके पसंदीदा विषय रहे हैं। वह कहती हैं कि पेक में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान कोचिंग अनिल नरुला से ली थी, उसके बाद सेल्फ स्टडी ने सफलता दिलाई। परिवार का पूरा साथ मिला। ऑनलाइन पेपर भी दिल्ली के एक केंद्र के जरिये दे रही थीं।
हेड कांस्टेबल की बेटी प्रीति चमकी
चंडीगढ़ सेक्टर 19 की रहने वाली प्रीति यादव ने 466वीं रैंक हासिल की है। वह चंडीगढ़ पुलिस में हेड कांस्टेबल मुकेश यादव की पुत्री हैं। पिता का सपना था कि बेटी नाम रोशन करे। प्रीति ने भूगोल विषय से पढ़ाई की थी। कोचिंग भी आईएएस स्टडी सर्किल से हासिल की। जीसीजी सेक्टर 11 में पढ़ीं प्रीति कहती हैं कि उन्हें पूरे परिवार का सहयोग मिला। दूसरी बार में यह सफलता हासिल हुई है। मैं रैंक से संतुष्ट हूं। इसका श्रेय परिवार के अलावा दोस्तों और शिक्षकों को जाता है। सबने सहयोग किया। पिता कहते हैं कि सभी बच्चों ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की है। शुरुआती 15 साल में मैं शास्त्री नगर कालोनी में रहता था। टीवी छह महीने पहले ही खरीदा है, इससे पहले बच्चों ने टीवी के दर्शन तक नहीं किए हैं। बेटा दुष्यंत यादव बैंक में आईटी मैनेजर बना है।
चंडीगढ़ सेक्टर 19 की रहने वाली प्रीति यादव ने 466वीं रैंक हासिल की है। वह चंडीगढ़ पुलिस में हेड कांस्टेबल मुकेश यादव की पुत्री हैं। पिता का सपना था कि बेटी नाम रोशन करे। प्रीति ने भूगोल विषय से पढ़ाई की थी। कोचिंग भी आईएएस स्टडी सर्किल से हासिल की। जीसीजी सेक्टर 11 में पढ़ीं प्रीति कहती हैं कि उन्हें पूरे परिवार का सहयोग मिला। दूसरी बार में यह सफलता हासिल हुई है। मैं रैंक से संतुष्ट हूं। इसका श्रेय परिवार के अलावा दोस्तों और शिक्षकों को जाता है। सबने सहयोग किया। पिता कहते हैं कि सभी बच्चों ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की है। शुरुआती 15 साल में मैं शास्त्री नगर कालोनी में रहता था। टीवी छह महीने पहले ही खरीदा है, इससे पहले बच्चों ने टीवी के दर्शन तक नहीं किए हैं। बेटा दुष्यंत यादव बैंक में आईटी मैनेजर बना है।
एक्सीडेंट में मां की मौत के बाद की तैयारी, पाया 14वां स्थान
यूपीएससी की परीक्षा में रोहतक जिले के कस्बे महम में वार्ड एक निवासी अंकिता चौधरी ने 14वां स्थान पाया है। अंकिता ने दसवीं व बारहवीं की परीक्षा इंडस स्कूल रोहतक से दी थी। उसके बाद हिंदू कॉलेज दिल्ली से बीएससी पास की, फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही कैमेस्ट्री ऑनर्स से डिग्री की। अंकिता के पिता महम शूगर मिल में अकाउंटेंट हैं। उनकी माता अंजु जेबीटी अध्यापिका थीं, जिनकी चार साल पहले सड़क हादसे में मौत हो गई थी। अंकिता के चाचा भोलू ढाका ने बताया कि बेटी की सफलता पर पूरे परिवार व शहरवासियों को नाज है। वह शुरू से ही मेहनती रही है।
यूपीएससी की परीक्षा में रोहतक जिले के कस्बे महम में वार्ड एक निवासी अंकिता चौधरी ने 14वां स्थान पाया है। अंकिता ने दसवीं व बारहवीं की परीक्षा इंडस स्कूल रोहतक से दी थी। उसके बाद हिंदू कॉलेज दिल्ली से बीएससी पास की, फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही कैमेस्ट्री ऑनर्स से डिग्री की। अंकिता के पिता महम शूगर मिल में अकाउंटेंट हैं। उनकी माता अंजु जेबीटी अध्यापिका थीं, जिनकी चार साल पहले सड़क हादसे में मौत हो गई थी। अंकिता के चाचा भोलू ढाका ने बताया कि बेटी की सफलता पर पूरे परिवार व शहरवासियों को नाज है। वह शुरू से ही मेहनती रही है।
बचपन से ही थी आईएएस अफसर बनने का लक्ष्य था
यूपीएससी की परीक्षा में रोहतक की 25 वर्षीय डॉ. अपराजिता 82वां रैंक पाया है। अपराजिता की बचपन से ही इच्छा थी कि वह बड़ी होकर आईएएस अधिकारी बनें और शुक्रवार को उन्होंने अपना यह सबसे बड़ा सपना सच कर दिखाया। डॉ. अपराजिता ने बताया कि उन्होंने 2016 में पीजीआईएमएस रोहतक से एमबीबीएस कर ली थी। इसके बाद एक जनवरी 2017 से यूपीएससी की तैयारी शुरू की और परिणाम सामने है। राजस्थान में पिता डॉ. अमर सिंह सिमसिमवार व माता डॉ. नीपन नारा अपनी सेवाएं दे रहे हैं। एक भाई एमबीबीएस कर चुका व दूसरा भाई अभी एमबीबीएस कर रहा है। डॉ. अपराजिता ने बताया कि अब वह महिला सशक्तिकरण व बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगी। इस परीक्षा के लिए उन्होंने रोजाना आठ घंटे और परीक्षा के कुछ दिन पहले रोजाना 11 घंटे पढ़ना शुरू किया। कोचिंग नहीं ली, बल्कि अपनी किताबें लाकर घर पर ही पढ़ाई की। एमबीबीएस का चयन उन्होंने अपने कैरियर को स्टेबल बनाए रखने के लिए किया था, जबकि लक्ष्य आईएएस अधिकारी बनना था।
यूपीएससी की परीक्षा में रोहतक की 25 वर्षीय डॉ. अपराजिता 82वां रैंक पाया है। अपराजिता की बचपन से ही इच्छा थी कि वह बड़ी होकर आईएएस अधिकारी बनें और शुक्रवार को उन्होंने अपना यह सबसे बड़ा सपना सच कर दिखाया। डॉ. अपराजिता ने बताया कि उन्होंने 2016 में पीजीआईएमएस रोहतक से एमबीबीएस कर ली थी। इसके बाद एक जनवरी 2017 से यूपीएससी की तैयारी शुरू की और परिणाम सामने है। राजस्थान में पिता डॉ. अमर सिंह सिमसिमवार व माता डॉ. नीपन नारा अपनी सेवाएं दे रहे हैं। एक भाई एमबीबीएस कर चुका व दूसरा भाई अभी एमबीबीएस कर रहा है। डॉ. अपराजिता ने बताया कि अब वह महिला सशक्तिकरण व बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगी। इस परीक्षा के लिए उन्होंने रोजाना आठ घंटे और परीक्षा के कुछ दिन पहले रोजाना 11 घंटे पढ़ना शुरू किया। कोचिंग नहीं ली, बल्कि अपनी किताबें लाकर घर पर ही पढ़ाई की। एमबीबीएस का चयन उन्होंने अपने कैरियर को स्टेबल बनाए रखने के लिए किया था, जबकि लक्ष्य आईएएस अधिकारी बनना था।