नई दिल्ली: वन-रैंक-वन-पेंशन व्यवस्था लागू होने में हो रही देरी से गुस्साए पूर्व सैनिकों ने 1965 की लड़ाई की 50वीं सालगिरह के सम्मेलन का बायकॉट करने का फैसला लिया है। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती, वे केंद्र सरकार द्धारा करवाए जा रहे किसी भी कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बनेंगे। दरअसल, मोदी सरकार 1965 की लड़ाई की 50वीं सालगिरह मनाने की तैयारी में है। इस बारे में रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र सेनाओं से कहा है कि 1 सितंबर से 23 सितंबर तक झांकियां, प्रदर्शनी, जुलूस, सार्वजनिक व्याख्यान और फिल्म शो आदि आयोजित किए जाएं। बता दें कि पूर्व सैनिक सेवानिवृत्त कर्नल एम.बी. आहलुवालिया के नेतृत्व में भूख हड़ताल पर बैठे हुए है। प्रतिनिधिमंडल ने अपनी अर्जी और लगभग 1500 वीरता पदक राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों को सौंपे। रिटायर मेजर विजय शर्मा ने बताया कि हमने पहले भी 22,000 मेडल लौटाए हैं, लेकिन राष्ट्रपति ने उसे नहीं स्वीकारा किया। 1971 की लड़ाई लडऩे वाले रिटायर कर्नल यू.बी. सिंह ने कहा कि यह सरकार के खिलाफ प्रदर्शन नहीं है, बल्कि सिर्फ अपनी भावना जाहिर करने की कोशिश है। गौरतलब है कि वन रैंक वन पेंशन लागू होने से एक ही रैंक के सभी सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों और जवानों को समान पेंशन मिलेगा। इस योजना से रक्षा विभाग के 25 लाख पूर्व सैनिकों और मृत सैन्यकर्मियों की पत्नियों को फायदा होने की उम्मीद है।